चारधाम यात्रा में लचर स्वास्थ्य सेवा फुला रही यात्रियों का दम
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
देशभर में आफत मचाने वाली माहामारी कोरोना के संक्रमण के शुरू होने के करीब दो साल बाद चार धाम यात्रा की शुरूआत हुई है और कल 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलेंगे। इस दौरान आज उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री ने देहरादून में चार धाम यात्रा मार्ग पर मुफ्त स्वास्थ्य सेवा को झंडी दिखाकर रवाना किया।उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल सभी जानते हैं, खास तौर पर पहाड़ी जिलों में तो हालत बेहद खराब हैं. नए डॉक्टर पहाड़ चढ़ना नहीं चाहते और पुराने वहां नजर नहीं आते हैं. मजबूर होकर मरीज को मैदान की ओर दौड़ना पड़ता है. ऐसे में चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य की स्थिति कैसी होगी, ये चिंता का विषय बना हुआ है. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बीमारी और दुर्घटना की स्थिति में इलाज के लिए देहरादून, हल्द्वानी या दिल्ली जाना पड़ता है. पहाड़ की जनता मान चुकी है कि हालात बदलने वाले नहीं हैं.चारधाम यात्रा के नाम पर जो तीर्थयात्री उत्तराखंड आएंगे. कम से कम उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें. इस मामले पर जब स्वास्थ्य महानिदेशक से पूछा गया, तो उन्होंने दावे किए कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों को हर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया की जाएंगी.स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान यमनोत्री और केदारनाथ ऊंचाई में स्थित हैं जिनके कारण लोगों को काफी परेशानी होती है. इसलिए इस बार स्वास्थ्य विभाग इन मार्गों पर मुस्तैद रहेगी. इसके साथ ही धामों में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों को स्टूडियो क्लीनिक से टिहरी और देहरादून से जोड़ा जाएगा, ताकि यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें.
इस मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए प्रशासन मुश्तैदी के साथ लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार चारधाम यात्रियों को हर सुविधा देने के लिए कारगर तरीके से काम कर रही है. चारधाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य न होने और स्वास्थ्य की लचर सेवा होने के कारण धामों के निकट पहुंचते ही अस्वस्थ श्रद्धालुओं का दम फुला रहा है। इसी कारण हर साल चारधाम को जाने वाले कई अस्वस्थ श्रद्धालु दम तोड़ देते हैं। इस बार भी अभी तक चारधाम यात्रा पर आए चार यात्रियों की मौत हृदय गति रुकने से हुई है। ऐसे में चारधाम पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की देखभाल एक बड़ी चुनौती है। लेकिन, उसके बाद भी चारधाम के मुख्य पड़ावों पर स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव उत्तरकाशी में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदहाल है। स्थिति ये है कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में फिजिशियन और हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात नहीं हैं। यमुनोत्री धाम में पहले दिन तीन यात्रियों की मौत हृदय गति रुकने से हुई है।सीमांत जनपद उत्तरकाशी में यात्रा सीजन में भी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं सुधर पाई है। स्वास्थ्य विभाग ने जनपद के लिए तीन फिजिशियन की मांग की थी। लेकिन, स्वास्थ्य निदेशालय से एक फिजिशियन जानकी चट्टी में भेजने संबंधित पत्र तो आया। लेकिन, फिजिशियन नहीं भेजा गया। जिसके कारण मुख्य चिकित्साधिकारी ने पुरोला सीएचसी में तैनात फिजिशियन को जानकी चट्टी भेजा। जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के लिए कोई फिजिशियन और हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं मिल पाया। यात्रा मार्ग पर भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। गंगोत्री धाम में फिजिशियन की सबसे अधिक जरूरत है। यहां यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में यात्री प्रतिदिन पहुंचते हैं और रात्रि विश्राम भी करते हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से शासन से फिजिशियन की मांग भी की गई थी। लेकिन, स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से फिजिशियन तो नहीं भेजा गया, बल्कि आर्थोपेडिक सर्जन को भेज दिया गया है, आर्थोपेडिक के लिए एक्सरे तक भी व्यवस्था नहीं है। साथ ही गंगोत्री में हड्डी रोग से संबंधित मरीजों की संख्या ना के बराबर है। स्वास्थ्य विभाग के पास जितनी मैन पावर है तथा संसाधन हैं, सभी को यात्रा पर लगाया गया है। धामों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए फिर से फिजिशियन की मांग के लिए स्वास्थ्य निदेशालय को पत्र भेजा जा रहा है। जानकी चट्टी में अनिवार्य स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था बुधवार से की गई है।