चीन के दुस्साहस के बाद नेपाल की हरकत

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चीन के दुस्साहस के बाद नेपाल की हरकत

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाला नेपाल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लंबे समय से भारत पर आरोप लगाने के मौके तलाशते आ रहे नेपाल ने एक बार फिर भारत के ऊपर उत्तराखंड के धारचूला में जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। नेपाल का आरोप है कि भारत नेपाल में काला पानी किनारे उसकी जमीन में तटबंध बना रहा है और भारत ने जमीन जबरन कब्जे में ले रखी है। नेपाल के अधिकारियों ने भारतीय अधिकारियों को इस मामले में सख्त कदम उठाने को कहा है और इस पूरे मामले में अपनी आपत्ति भी जताई है। हालांकि भारत ने भी नेपाल की हरकतों पर जवाब दिया है। आखिर यह पूरा मामला है क्या और क्यों आखिर नेपाल भारत के ऊपर आरोप लगा रहा है। 2013 की आपदा तो याद है ना आपको। 2013 की आपदा ने धारचूला में काली नदी किनारे जमकर तबाही मचाई थी और तब भारत में नदी किनारे तटबंध नहीं होने के कारण नदी ने अपना रुख भारत की तरफ किया था। इसके बाद भारत ने अपने यहां नदी के बहाव से खतरे को रोकने के लिए तटबंध बनाए थे जिस पर नेपाल के अधिकारियों को बड़ी समस्या हो रही है और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई है। नेपाल ने कहा है कि भारत उसके भूभाग पर कब्जा करना चाह रहा है। इस पूरे मामले में नेपाल की आपत्ति पर भारत और नेपाल के अधिकारियों की टीम पहले ही संयुक्त सर्वेक्षण भी कर चुकी है। मगर इसके बावजूद भी नेपाल ने अपना विरोध वापस नहीं लिया है। नेपाल अपने रुख पर अडिग है। इधर भारत ने भी नेपाल को मुंहतोड़ जवाब देते हुए आरोपों को सिरे से खारिज तो किया ही किया इसी के साथ भारत में प्रशासन ने कहा है कि नदी की तरफ अपना बहाव रोकने के लिए तटबंध बनाया जा रहा हैउत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन की गतिविधियों को लेकर अक्सर खबरें सामने आती रही हैं लेकिन पिछले कुछ समय में भारत नेपाल सीमा पर भी कुछ ऐसे ही मामले सामने आए हैं, जिसके चलते दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा है. ताजा मामला उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नेपाल के अतिक्रमण करने से जुड़ा है. वैसे तो भारत-नेपाल के संबंध हमेशा से काफी मधुर रहे हैं और भारत की तरफ से इन संबंधों को और भी बेहतर करने के प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन इस बीच खबर है कि नेपाल ने न केवल भारत की 5 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण किया है बल्कि यहां पर अस्थाई निर्माण भी करवाया गया है. खास बात यह है कि इस मामले को लेकर वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण की खबरों के बीच वन महकमा अनजान दिखाई दिया है. वन विभाग के बड़े अफसरों से लेकर स्थानीय अधिकारी भी इस खबर से अनजान दिखे हैं. हालांकि, इस मामले पर अब चर्चाओं में आने के बाद वन विभाग सतर्क हो गया है. उत्तराखंड के वन मंत्री ने कहा है कि यह मामला 2010 का है और इस मामले में एसएसबी ने भारत सरकार को लिखा है. श्रद्धालू पूर्णागिरी में दर्शन करने जाते है और पूर्णागिरी के दर्शन करने के बाद भैरो देवता के दर्शन करने के लिए नेपाल के ब्रह्मदेव जाते हैं. ये जमीन कब्जाने का मामला भी पूर्णागिरी से ब्रह्मदेव का ही है. इस जमीन वाले मामले पर भारत सरकार नेपाल सरकार से बात कर रही है.भारत की भूमि पर नेपाल के अतिक्रमण को लेकर कहा कि यह हाल में नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नेपाल के अतिक्रमण की रिपोर्ट उच्च स्तर पर भेजी गई है। अब सर्वे ऑफ इंडिया और सर्वे ऑफ नेपाल की टीमें ही सर्वे कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करेंगी। उधर, वन विभाग के मुताबिक जिले की टनकपुर शारदा रेंज से लगी भारत-नेपाल सीमा के शारदा टापू समेत ब्रह्मदेव में कई जगहों पर नेपाल की ओर से पिछले 30 सालों से अतिक्रमण किया जाता रहा है पड़ोसी मुल्क अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत से चल रहे सीमा विवाद के बीच अब ड्रैगन नेपाल की जमीन हथिया ने के चक्कर में है। जानकारी के अनुसार, चीन ने बिना किसी को बताए सीमा से सटे नेपाल के गोरखा जिले के रूइला में कटीले तार लगा दिए हैं। यह वहीं क्षेत्र है, जहां दो साल पहले चीन ने सैन्य ठिकाने बना लिए थे और अब टीले तार लगा कर सीमा को बंद कर दिया है। इलाके के रेंजर का कहना है कि उन्होंने भी कई बार राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसे लेकर रिपोर्ट भेजी हैं। वहीं, दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अतिक्रमण को लेकर 2010 से 2021 के बीच तीन बार गृह मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट भेजी है।

लेखक के निजी विचार हैं वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।