लोकतंत्र प्रहरी व संविधान रक्षक पत्रकार स्व.नरेंद्र उनियाल की 41वी पुण्यतिथि सम्पन्न

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लोकतंत्र प्रहरी व संविधान रक्षक पत्रकार स्व.नरेंद्र उनियाल की 41वी पुण्यतिथि सम्पन्न
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। जनसरोकारो व राष्ट्र हित में, विभिन्न आंदोलनों तथा पत्रकारिता को उच्च आयाम देकर, 29 वर्ष की अल्पआयु मे ही अपनी अमिट छाप छोड़कर इस दुनिया से विदा लेने वाले, उत्तराखंड के नायक स्व.नरेंद्र उनियाल की 41वीं पुण्यतिथि पर, 23 जुलाई की सांय, प्रेरणा मीडिया संस्थान भवन, सेक्टर 62, नोएडा मे, उत्तराखंड के प्रबुद्ध जनों, साहित्यकारों, पत्रकारो व विभिन्न प्रतिष्ठित समाजों के प्रतिनिधियो की उपस्थिति में, ‘लोकतंत्र प्रहरी,संविधान रक्षक, नरेंद्र उनियाल’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन, पी एन शर्मा की अध्यक्षता व वरिष्ठ अतिथि कृपा शंकर (संयुक्त प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ), मुख्य अतिथि वीरेंद्र सेमवाल, मुख्य वक्ता विजय शंकर तिवारी (राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिंदू परिषद) तथा प्रमुख समाज सेवी प्रवीण शर्मा, मंचासीनो के सानिध्य मे आयोजित किया गया।

मंचासीन प्रबुद्धजनों द्वारा, दीप प्रज्ज्वलित व पत्रकार स्व.नरेंद्र उनियाल के चित्र पर गुलाब की पंखुड़ियाँ अर्पित कर, विचार गोष्ठी के श्रीगणेश से पूर्व आयोजकों द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों को पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया। मंच संचालक, डाॅ सूर्य प्रकाश सेमवाल द्वारा पत्रकार प्रदीप वेदवाल के सानिध्य में विचार गोष्ठी का शुभारंभ किया गया।

पत्रकार स्व.नरेंद्र उनियाल के आंदोलनकारी, जनहितकारी व प्रखर पत्रकार के नाते उनकी निडर व निष्पक्ष पत्रकारिता के आयामो के बावत, उनके निकट सहयोगी व परिचित रहे, प्रबुद्धजनों मे, शिव प्रसाद गौड़, शशि भूषण खंडूरी, सुनील भट्ट, सुमन सनवाल, रमेश चन्द्र घिल्डियाल, बृज मोहन शर्मा (वेदवाल) द्वारा, स्व.नरेंद्र उनियाल के कृतित्व व व्यक्तित्व पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया। उनके जीवन के संस्मरणों से अवगत कराया गया।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, स्व.नरेंद्र उनियाल ने देहरादून से बीएससी कर, यूपीएससी को तिलांजलि देकर, विकट परिस्थितियों को झेल, भूखा रह कर, राष्ट्र व जनसमाज के लिए आंदोलन किए, संघर्ष किया। 1973 शांति के प्रतीक गढ़वाल में हुए, गोदावरी हत्याकांड पर, निडर हो, आवाज बुलंद कर, प्रशासन को हत्याकांड के दोषी का खुलासा करने को बाध्य कर, आंदोलित जीवन की शुरुआत की। 1974 मे जे पी आंदोलन से जुडे। आपातकाल में उन्नीस माह नैनी जेल में रहे। कठिन मार्ग पर चल कर, 1977 मे एक पार्टी का गठन भी किया। पौडी जनपद से चुनाव भी लडा, लेकिन सफल नहीं हो पाए।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, उस समय जो समाज के मूल्य थे, वही मूल्य राजनीति के भी थे। उनकी कुशाग्र बुद्धि थी वे मानवता वादी व राष्ट्रवादी थे। शिक्षक के रूप में भी कार्य कर पहचान बनाई। 1979 मे गढ़वाल से ‘धधकता पहाड़’ व ‘जयंत’ अखबार के संस्थापक रहे। जयंत आज भी प्रकाशित होता है। सदैव चेतना की बात की। 29 वर्ष की अल्पआयु मे ही, इस ख्याति के शिखर पर चढे, समाज सेवी, आंदोलनकारी व प्रखर पत्रकार का निधन दिल्ली में हुआ, जिसके निधन की खबर सुन, उत्तराखण्ड का जनसमाज दुखी हुआ, उनके मध्य शोक की लहर छा गई थी।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, आज लोग समाज नहीं, व्यक्तिगत हित चाहते हैं। आज ऐसे लोगों की जरूरत है, जो देश समाज को आगे बढ़ाए। राजनीति में अच्छे लोग आगे आऐ तो देश का उद्धार होगा। व्यक्त किया गया स्व.नरेन्द्र उनियाल के जीवन से सबको प्रेरणा मिलती है। जिन्हे आशा नही होती है, लेकिन संघर्ष कर उसकी प्राप्ति होती है। ऐसा व्यक्ति सदा नमन के योग्य रहता है।

मंचासीन सभी अतिथियों द्वारा भी, स्व.नरेन्द्र उनियाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, व्यक्त किया गया, स्व.नरेन्द्र उनियाल ने पत्रकारिता बडी साधना व सिद्धत से की। जनसरोकारों के कार्यो मे उनकी बडी भूमिका रही। पशु बलि का भी उन्होंने विरोध किया था। सत्य, निष्ठा के बल सामाजिक बुराइयों व समाज व राष्ट्र हित हेतु संघर्ष किया, इसीलिए उनको याद किया जा रहा है। उनका नाम शतत् चलता रहेगा। उनके नाम से नरेंद्र नगर या ऋषिकेश में कुछ कार्य हों, यह प्रयास रहेगा।

आयोजकों द्वारा इस अवसर पर सभी वक्ताओ के साथ-साथ, सच्चीदानंद शर्मा, प्रीता उनियाल शर्मा, रमेश कांडपाल, बीना नयाल, सुषमा जुगरान ध्यानी, चंद्र मोहन पपनैं तथा पवन मैठाणी को आयोजन की अध्यक्षता कर रहे पी एन शर्मा के कर कमलो सम्मानित किया गया। अध्यक्ष के वक्तव्य के साथ ही, आयोजित विचार गोष्ठी के समापन की घोषणा की गई।
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