उत्तराखण्ड में राजस्व पुलिस का अस्तित्व खत्म

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सरकार ने दिया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा

सभी गंभीर आपराधिक केस रेगुलर पुलिस को शिफ्ट

देहरादून। राज्य में डेढ़ दशक से कानून व्यवस्था को संभालने वाली राजस्व पुलिस का अस्तित्व समाप्त हो गया है। राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर 2018 के फैसले को अमल करने को कहा है। राज्य की राजस्व पुलिस से अब सभी आपराधिक मामले रेगुलर पुलिस को शिफ्ट किए जाएंगे और चरणबद्ध तरीके से राजस्व पुलिस क्षेत्र में रेगुलर पुलिस (सिविल पुलिस) की व्यवस्था की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अभी गंगा भोगपुर स्थित वनंतरा रिजार्ट में कार्यरत अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस की भूमिका पर उठे सवालों के बाद यह मुद्दा चर्चाओं के केंद्र में आ गया था। उल्लेखनीय है कि 2018 में हाई कोर्ट नैनीताल द्वारा भी राज्य सरकार को निर्देश दिए गए थे कि वह राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर उसकी जगह रेगुलर पुलिस व्यवस्था करें। लेकिन इस आदेश पर अमल नहीं किया गया था जिस पर अब जवाबदेही होने पर सरकार द्वारा इस आदेश पर अमल की बात कही गई है।
राज्य सरकार द्वारा अब हाईकोर्ट में हलफनामा देकर साफ कर दिया गया है कि वह 2018 के हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करेगी। इस विषय में यह भी कहा गया है कि राजस्व पुलिस अब सभी गंभीर आपराधिक मामलों को सिविल पुलिस को चरणबद्ध तरीके से सौंपेगी। वहीं राजस्व पुलिस क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से सिविल पुलिस का विस्तारीकरण किया जाएगा। अंकिता मर्डर केस को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजस्व पुलिस से बंद करा दिया गया है। इस अति गंभीर मामले को भी सिविल पुलिस ही देखेगी यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में कैबिनेट की बैठक में सरकार ने राज्य में 4 नए थाने व 20 चौकियां खोलने का निर्णय लिया गया था।
कैबिनेट की बैठक के बाद शासन स्तर पर राजस्व पुलिस के अस्तित्व को खत्म करने और उनकी जगह सिविल पुलिस व्यवस्था को बहाल करने का खाका तैयार कर लिया गया है। धामी सरकार के कार्यकाल में पुलिस व्यवस्था में किए जाने वाला यह सबसे बड़ा बदलाव होगा जिसकी शुरुआत हो चुकी है और अब सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे के बाद यह तय हो गया है कि राज्य में अब राजस्व पुलिस का अस्तित्व खत्म माना जा सकता है।