2013 की आपदा के बाद से अब तक छह हेलीकॉप्टर क्रैश

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2013 की आपदा के बाद से अब तक छह हेलीकॉप्टर क्रैश

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में भगवान शिव के पांचवें ज्योतर्लिगिं केदारनाथ धाम के दर्शन उपरान्त छह तीर्थयात्रियों को वापस लाते समय एक हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गयाकेदारनाथ में आज एक हेलीकाप्टर फिर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई है। यह पहली दुर्घटना नहीं है। केदारनाथ आपदा के दौरान भी वर्ष 2013 में रेस्क्यू करते हुए वायुसेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर समेत 3 हेलीकॉप्टर र्घटनाग्रस्त हो गए थे। इन हादसे में में 23 लोगों को जान गई थीसमुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम से लौट रहे हेलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में हवाई उड़ानों को लेकर अब फिर से बहस का दौर शुरू हो गया है। विषम भौगोलिक परिस्थितियां और पल-पल में रंग बदलते मौसम के बीच यहां होने वाली उड़ानों में पहले भी नियमों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। दो माह पहले ही नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इसी वजह से पांच हेलीकाप्टर आपरेटरों पर पांच-पांच लाख रुपये के जुर्माने की कार्रवाई की थी, जबकि दो आपरेटरों को तीन माह के लिए निलंबित किया गया था।केदारनाथ क्षेत्र में मौसम कब रंग बदल ले, कहा नहीं जा सकता। यात्राकाल के दौरान वहां बादलों की लुका-छिपी के बीच निरंतर उड़ानें होती रहती हैं, जिन्हें लेकर अक्सर प्रश्न उठते आए हैं। यद्यपि, हेली सेवाओं के संचालन के लिए नियम-कानून हैं, लेकिन कई मौकों पर इनकी अनदेखी भारी पड़ जाती है। यही नहीं, व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता के कारण पैदा होड़ भी कम नहीं है।इसी वर्ष 30 मई को यात्रियों को लेकर जा रहे एक हेलीकाप्टर की केदारनाथ में रफ लैंडिंग हुई थी। इसके बाद डीजीसीए ने केदारनाथ में हेलीकाप्टरों के संचालन की जांच कराई। तब ये बातें सामने आई थी कि सात हेलीकाप्टर आपरेटरों ने नियमों का उल्लंघन किया। और तो और, उड़ान के रिकार्ड को ही नहीं रखा गया। इस पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई। इसके बाद भी केदारनाथ क्षेत्र में खराब मौसम के बावजूद होने वाली उड़ान को लेकर प्रश्न उठते आए हैं।केदारनाथ क्षेत्र में मंगलवार को हुई हेलीकाप्टर दुर्घटना के लिए भी मौसम के बिगड़े मिजाज को कारण बताया जा रहा है। यद्यपि, जांच के बाद कारण तो साफ हो जाएंगे और जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी होगी, लेकिन इस घटना से सबक लेने की जरूरत है। इसे देखते हुए हेलीकाप्टर सेवा प्रदाता आपरेटरों पर कड़ी निगरानी की व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। आखिर, प्रश्न यात्रियों की सुरक्षा के साथ ही राज्य की साख से भी जुड़ा है। केदारनाथ तक हेली सेवा की व्यापारिक होड़ को सुरक्षा की कसौटी पर कसने की आवश्यकता है। ऐसा होना ही दुर्घटना का कारण बन रहा है। केदारनाथ में यात्रियों की संख्या के स्थान पर उनकी सुरक्षा प्राथमिकता की आवश्यकता होनी चाहिए। पिछले 12 सालों में केदारघाटी में सात बार हेलीकॉप्‍टर क्रैश की घटना सामने आई है। जिसमें कुल 26 लोगों की मौत हुई थी। इनमें सेना के 20 जवान भी बलिदानी हुए थे। एमआई-17 राहत बचाव के दौरान गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच घनी पहाड़ियों में कोहरे और खराब मौसम में क्रैश हो गया था। इस घटना में पायलट, कोपायलट समेत 20 जवान बलिदानी हो गए थे। 2013 को केदारनाथ से दो किलोमीटर दूर गरुड़चट्टी के पास एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस दुर्घटना में पायलट व को-पायलट समेत 3 लोगों की मौत हुई थी। यह हेलीकॉप्टर भी रेस्‍क्‍यू में लगा था। उत्तराखंड के केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश  में सात लोगों की मौत हो गई है. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ हो, इससे पहले भी यहां हेलीकॉप्टर क्रैश हुए हैं. लेकिन 2013 की आपदा के बाद ये पहला हेलीकॉप्टर क्रैश है. हालांकि इसी साल मई में डीजीसीए ने केदारनथ में हेली टैक्सी चला रही पांचों कंपनियों पर जुर्माना लगाया था. दरअसल उत्तराखंड में साल 2013 की आपदा के बाद समूची केदार घाटी में हैली कंपनियो की बहार आ गयी. तत्कालीन सरकार ने भी वायुयान संचालन नियमावली में छूट दी. जिसका परिणाम ये हुआ कि ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ सी मच गयी. हैली कंपनियो ने भी नियमों को ताक पर रखकर हेलीकॉप्टर को सिटी बस बनाने में चूक नहीं की. क्या नियमों की अनदेखी हुई? मई में भी लगा था जुर्माना भाषा में छपी खबर के मुताबिक घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने बताया कि करीब पौने बारह बजे हुई दुर्घटना में मरने वालों में पायलट भी शामिल है. उन्होंने बताया कि दुर्घटना के शिकार श्रद्धालु रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर वापस आ रहे थे कि तभी केदारनाथ से दो किलोमीटर आगे रास्ते में उनके हेलीकॉप्टर में आग लग गई. कुमार ने बताया कि हादसे के कारणों का तत्काल पता नहीं चल पाया है लेकिन दुर्घटना संभवत: कोहरे के कारण कम दृश्यता के चलते किसी चीज से टकराने से हुई. दुर्घटना की सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिवादन बल के साथ ही पुलिस और जिला प्रशासन के दल भी बचाव कार्य के लिए घटनास्थलपर पहुंच गए. मुख्यमंत्री ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है तथा घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. उत्तराखंड नागरिक उडडयन विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सचिव सी रविशंकर ने बताया कि हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं. हादसे की वजहों को लेकर अलग-अलग तरीके से विश्लेषण किया जा रहा है। इसी साल जून के महीने में पवन हंस हेलिकॉप्टर हादसे में 4 लोगों की जान चली गई थी। यह हादसा अरब सागर में आपातकालीन लैंडिंग के दौरान हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों ही हादसों में कुछ समानताएं हैं। दोनों ही हादसों में वरिष्ठ पायलट शामिल थे। जिन्होंने हाल ही में नई तरह की एयरक्राफ्ट को लेकर उड़ान भरी थी। जाहिर है जो हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए उन्हें उड़ाने का तजुर्बा दोनों ही पायलटों को कम था। इसके अलावा दोनों ही हादसे एक चुनौतीपूर्ण मौसम के बीच हुए हैं। हेलीकाप्टर सेवाओं में हाल में कई गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा एवं नियंत्रण तंत्र को तैनात नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय का अभी तक यहां कोई अधिकारी नहीं है.बाबा केदारनाथ से सभी दिवंगत आत्माओं को अपने चरणों में स्थान देने एवं शोकाकुल परिजनों को ये असहनीय कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ।

लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।