नैनीताल नगरी पूरी तरह से पर्यटन पर ही निर्भर है कोरोना संक्रमण के चलते पर्यटकों की संख्या में 90 फीसदी की गिरावट आई है। भले ही इस बीच पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो गई हो, लेकिन कई पर्यटक स्थल ऐसे भी हैं, जहां अभी भी पर्यटक नहीं पहुंच पाए हैं। हालांकि अक्तूबर से पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
आपको बता दें कि कोरोना के चलते पर्यटन गतिविधियां 20 मार्च से बंद कर दी गई थीं। इस दौरान होटल समेत अन्य बड़े कारोबारियों को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा, लेकिन लंबे समय के बाद प्रदेश सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत संस्थान प्रतिष्ठानों को खोलने का सिलसिला शुरू हुआ। पर्यटन कारोबार से जुड़े कारोबारियों की मानें तो इस दौरान पर्यटन को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दूसरी ओर देश-दुनिया से पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में पर्यटन कारोबार खासा प्रभावित हुआ। हालांकि धीरे-धीरे पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है, लेकिन उम्मीदें अक्तूबर के बंगाली सीजन पर कायम है।
इधर रविवार को भी नैनीताल में सुबह से ही पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बाद दिनभर सैलानियों की आवाजाही बरकरार रही। अधिकांश पर्यटक दिनभर भ्रमण के बाद शाम को लौटने लगे। शहर में अभी भी 80 फीसदी होटल नहीं खोले गए हैं। अधिकांश होटल संचालकों की ओर से अक्तूबर पहले सप्ताह में होटल खोलने की बात कही जा रही है।
इस वर्ष अबतक डेढ़ लाख सैलानी पहुंचे
कोरोना से पहले जनवरी और फरवरी में नैनीताल समेत आसपास के पर्यटक स्थलों पर करीब डेढ़ लाख पर्यटक पहुंचे। जबकि मार्च में कोरोना महामारी की दहशत के बाद पर्यटकों का आना बंद हो गया। इसके बाद अब खासी कम संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। जबकि पिछले वर्षों की बात की जाए तो शहर में 50 से 70 हजार सैलानी हर माह पहुंचते थे। जबकि सीजन में पैक होने की नौबत रहती थी।
प्रदेश के विभन्न जिलों से पहुंच रहे पर्यटक
लॉकडाउन के बाद बाहरी राज्यों से पहुंचने वाले पर्यटकों का सिलसिला अभी भी शुरू नहीं हो सका है। इस बीच प्रदेश के विभन्न जिलों से पर्यटक पहुंच रहे हैं। इसमें अधिकांश सैलानी एक दिवसीय भ्रमण के बाद शाम को ही वापसी कर रहे हैं। जबकि शेष कोविड नियमों के तहत होटलों में कमरे ले रहे हैं। ऐसे में नैनीताल पहुंचने वाले पर्यटक यहां क्षणिक ही रुक पा रहे हैं।