त्रिवेंद्र को अब कुमाऊं क्यों आ रहा याद: भावना पांडे
जातिवाद और क्षेत्रवाद की राजनीति का होगा खात्मा
पहाड़-मैदान और कुमाऊं-गढ़वाल की खाई को पाटेंगी भावना
देहरादून। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र बताएं कि वो पिछले चार साल में कितनी बार कुमाऊं गये। उनका कहना है कि जब वो कुमाऊं समेत पूरे उत्तराखंड के जन मुद्दों को उठाने लगी तो सीएम अब बार-बार कुमाऊं का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सीएम वहीं स्थायी डेरा डाल दे ंतो भी जनता अब तय कर चुकी है कि भाजपा और कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति पानी है। इस बार प्रदेश में तीसरा विकल्प है और युवा सरकार बनेगी।
राज्य आंदोलकारी भावना पांडे के अनुसार मुख्यमंत्री इन दिनों बार-बार कुमाऊं पहुंच रहे हैं। जबकि पिछले चार साल में वो यहां की सुध नहीं लेते थे। भावना ने सवाल किया कि सीएम को बताना चाहिए कि चार साल मे कितनी बार कुमाऊं गये । तब आपको यह क्षेत्र यूपी में लगता था लेकिन आज आपको एहसास हो रहा है कि कुमाऊं और उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे प्रदेश के मुद्दों को उठा रही है तो आपको तीसरे विकल्प से खतरा नजर आता है। तब याद आ रहा हैॅ कि कुमाऊं हमारे ही उत्तराखंड में है और बार-बार वहां पहुंच रहे हो।
भावना पांडे ने कहा कि मैं अब साफ-साफ कह देना चाहती हूं कि मेरा उत्तराखंड जौनसार बाबर भी है। मेरा उत्तराखंड गढ़वाल भी है और मेरा उत्तराखंड कुमाऊ भी है और हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर भी। जिस क्षेत्र के लोगों ने राज्य आंदोलन में भाग लिया और समर्थन किया वो सब उत्तराखंडी हैं। चाहे वो प्रदेश का कोई भी इलाका हो। उन्होंने कहा कि कुमाऊं-गढ़वाल, पहाड़-मेैदान की खाई को अब वो दूर करेंगी। आपस में लोगों को बांटने की राजनीति अब नहीं चलेगी। जनता जागरूक है और तीसरा विकल्प इस खाई को पाटने का काम करेगा।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि महज 70 विधानसभा सीटों वाले इस छोटे से राज्यों को नेताओं ने अपने लाभ और स्वार्थ के कारण क्षेत्रवाद और जातिवाद के संकींर्ण मानसिकता में जकड़ा है। प्रदेश को नेताओं ने पांच जगह तोड़ कर रखा है। गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार, पहाड़ और मैदानी। इस पर वोटों की राजनीति की जाती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अब ये नहीं होगा। इस खाई को हमें खत्म करना होगा। इस खाई के कारण ही हमारे उत्तराख्ंाड का नाम इतिहास में दर्ज होते-होते रह गया, यदि ऐसा नहीं होता तो देश में हमारे तीन-तीन प्रधानमंत्री होते। उन्होंने कहा कि प्रदेश के नेताओं की आपसी खींचतान का असर रहा कि पहले गोविंद वल्लभ पंत, फिर हेमवती नंदन बहुगुणा और फिर एनडी तिवारी पीएम की होड़ से आखिरी समय में बाहर हुए। उन्होंने कहा कि गढ़वाल और कुमाऊं के नेताओं की आपसी छल-कपट के कारण हम तीन प्रधानमंत्री खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि आखिर देवभूमि में राक्षकों का राज कब तक चलेगा? अब इनका राज खत्म होगा। इस बार की सरकार प्रदेश की महिलाएं और युवाओं की होगी।