ठीक नहीं है दून की सड़कों की सेहत

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देहरादून। राजधानी में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत काम जोरशोर से चल रहा है लेकिन इन कामों के चलते दून की सड़कों की हालत खराब हो रखी है। सड़कें इतनी बदतर हो रखी हैं कि लोगों को जान हथेली पर लेकर इन रास्तों से हो कर गुजरना होता है। खासकर रात के समय तो ये सड़कें जानलेवा हो जाती हैं।
राजधानी में लंबे समय से स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत काम चल रहा है। जिस गति से ये काम हो रहा है उसको देख तो यही लग रहा है कि आने वाले कई वर्षों तक ये काम ऐसे ही बदस्तूर जारी रहेंगे और दून के लोगों शहर की बदहाल व्यवस्था से इतनी जल्दी मुक्ति नहीं मिलने वाली है। शहर की सड़कों की हालत इतनी खराब हो गई है कि लोग शहर में निकलने से पहले से सड़कों में जाम से जूझते नजर आते हैं।
दून के व्यस्ततम मार्ग बुद्धा चैक से लेकर ईसी रोड तक के मार्ग के भी कुछ ऐसे ही हाल हैं। इस मार्ग पर एमआरआई सेंटर, इन्कम टैक्स अन्वेषण का कार्यालय, प्रवर्तन कार्यालय सहित अन्य कार्यालय भी हैं। एमआईआई सेंटर के आगे वैसे भी अकसर वाहन खड़े होने के कारण जाम की स्थिति रहती है। उस पर सड़क खोद कर जिस तरह से छोड़ी गई है उससे तो हालात बदतर हो चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व यहां पर सड़क खोदने के बाद मिट्टी डाल कर उसे भर तो दिया गया लेकिन गड्ढे पूरी तरह से नहीं भरे जाने के कारण वहां पानी और मिट्टी के कारण कीचड़ हो गया। जिसके बाद तो इस सड़क से गुजरने वाले सरकार को कोसते हुए जाते हैं।
इस सड़क पर गड्ढे भरने के लिए रोड़ियां तो डाली गई हैं लेकिन यह भी दो पहिया वाहन चालकों के लिए घातक बनी हुई हैं। ईसी रोड तक पहुंचतेकृपहुंचते सड़क की हालत ऐसी हो जाती है कि मानों किसी तालाब को पार कर सड़क तक जाना होगा। इन सड़कों से रात के समय जाने का मतलब दुपहिया वाहन चालकों के लिए तो जानलेवा ही है। बुद्धा चैक से तो इस मार्ग पर लाइट का इंतजाम भी नहीं है जिसके कारण सामने से आने वाली गाड़ियों की लाइट आंखों पर पड़ने पर दोपहिया वाहन चालकों के लिए बड़ी मुसीबत होती है। उस पर ईसी रोड तक पहुंचने के लिए तमाम बाधाओं को पार करना पड़ता हैै और अगर सही सलामत पहुंच गये लोग शुक्र ही मनाते हैं। कार्यदायी संस्था को तमाम हिदायतों के बावजूद सड़कों की हालत सुधरने में नहीं आ रही है। सड़कों को खोदने के लिए बाद हफ्तों तक इन गड्ढों भरने की जहमत नहीं उठाई जाती है। जिसका खमियाजा इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है।