क्या होता है शत्रु वृद्धि योग जानलीजिये काम की चीज है

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क्या होता है शत्रु वृद्धि योग जानलीजिये काम की चीज है

क्या होता है शत्रु वृद्धि योग जानलीजिये काम की चीज है
आज का समय ऐसा है कि व्यक्ति अपने दुःख से दुखी उतना नही है जीतना दुसरे के सुख को देखकर दुखी होता है जहा पर व्यक्ति थोडा तरक्की करने लग जाए तो बाहर वाले बाद मे अपने ही लोग देख नही पाते चाहे वो तब अपने कुटुबं के शत्रु हो या काम काज करने वाली जगह के हो यो गुप्त शत्रु हो जीनका पता ही नहीं चलता
आइये जानते हैं कुण्डली मे कुछ योग जीनके कारण जातक शत्रुओं से परेशान रहता है
अगर जन्म कुंडली के छठे आठवें स्थान के मालिक एक साथ युति करके के छठे आठवें और बारहवें स्थान में बैठ जाए बैठ जाए और साथ में शुभ ग्रह हो तो ऐसे जातक के शत्रु कम नही होते अथवा एक जगह से छुटकर दुसरी समस्या मे घिर जाता है
अगर छठे और आठवे घर का मालीक एकादश भाव मे हो और शनि से दृष्ट हो तो भी योग होता है
षष्ठेश केन्द्र मे या त्रीकोण मे हो और पाप ग्रह से युत ना हो तो शत्रु ज्यादा परेशान करते हैं
जन्म कुंडली का छठवां स्थान शत्रु का होता है और आठवां स्थान मृत्यु का और कोई शुभ ग्रह 6 8 और 12 में हमेशा अशुभ होते हैं इसलिए इन स्थानों पर अगर कोई सुबह ग्रह छठवें और आठवें के साथ में एक साथ बैठ जाता है तो उसके जीवन में हमेशा शत्रु बढ़ते रहेंगे एक शत्रु से निपटने के बाद दूसरा शत्रु फिर पैदा हो जाएगा ऐसे जीवन भर मृत्यु पर्यंत उसके जीवन में शत्रु बुद्धि होती रहती है