चमोली आपदा: 20 जनवरी को हो गई थी ऋषिगंगा जलप्रलय की शुरुआत
चमोली । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि ऋषिगंगा में आई आपदा की शुरुआत 20 जनवरी को हो चुकी थी। नासा के मुताबिक 20 जनवरी को रौंथी पर्वत पर दरार आ गई थी और यहीं से आपदा की इबारत लिखी गई। आपको बता दें कि पहले भी कई बार सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन से एजेंसियां ये बता चुकी हैं कि ऋषिगंगा में आई भयंकर जलआपदा हैंगिंग ग्लेशियर की वजह से हुई थी। यह ग्लेशियर रौंथी पर्वत था और इसके चट्टान के साथ टूटकर गिर जाने से जलप्रलय आई। नासा ने बताया कि 20 जनवरी के सेटेलाइट चित्र में रौंथी पर्वत पर दरार उभर गई थी। इसी चट्टान पर वह हैंगिंग ग्लेशियर था जो टूट गया था।
नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने ‘ए डेडली डेबरीस फ्लो इन इंडिया’ नाम से एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन से पता चला है कि रौंथी पर्वत पर पहले दरार उभरी। वहीं, इस पर्वत पर पहले से ही हैंगिंग ग्लेशियर का भार था। किन्हीं कारणों से दरार बढ़ती चली गई और चट्टान इतनी कमजोर हो गई कि हैंगिंग ग्लेशियर का भार सहन नहीं कर पाई। जब चट्टान गिरी तो उसके साथ हैगिंग ग्लेशियर भी टूटकर गिर गया। नासा की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 21 फरवरी को भी रौंथी पर्वत का सेटेलाइट चित्र लिया गया है। दोनों चित्रों से स्पष्ट होता है कि दरार ही चट्टान व ग्लेशियर के टूटने की वजह बनी। अब ताजा चित्र में रौंथी पर्वत के भूस्खलन जोन में मलबे के निशान बाकी हैं।