समाज कल्याण विभाग में घोटाला, 268 अपात्रों को बांट दिए 57 लाख

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समाज कल्याण विभाग में घोटाला, 268 अपात्रों को बांट दिए 57 लाख

 

हल्द्वानीः राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना के तहत 57 लाख की गड़बड़ी सामने आई है. समाज कल्याण विभाग द्वारा 268 अपात्रों को योजना का लाभ देने का मामला सामने आया है. सहायक समाज कल्याण अधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. केंद्र सरकार की राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना के तहत उत्तराखंड में हुए घोटाले की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के बाद समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मचा है. कैग द्वारा गैरसैंण विधान सभा सत्र में घोटाले की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद अब जांच शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि तत्कालीन नैनीताल और देहरादून जिले के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के साथ-साथ इस पूरे मामले में ग्राम प्रधान, वीडियो और एडीओ जैसे अफसर भी जिम्मेदार हैं. जानकारी के मुताबिक सभी अधिकारी फाइलों को देखे बिना आगे बढ़ाते गए. रिपोर्ट में देहरादून और नैनीताल जनपद के समाज कल्याण विभाग द्वारा 268 अपात्रोंं को 57 लाख रुपए बांटे गए हैं.

बीपीएल परिवार के 18 साल से 60 साल के बीच में परिवार के मुखिया की मौत होने के बाद केंद्र सरकार की राष्ट्रीय परिवार लाभ कल्याण योजना के तहत परिवार को 20 हजार रुपए देने का प्रावधान है. लेकिन नैनीताल और देहरादून जनपद के समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के अलावा ग्राम प्रधान स्तर पर साठगांठ करते हुए 268 अपात्र लोगों को इसका लाभ दिया गया. ऐसे में लापरवाही आने के बाद समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर सस्पेंशन जैसी कार्रवाई की तलवार लटक रही है. साथ ही अधिकारियों से ही बांटी गई रकम की रिकवरी करने के कयास भी लगाए जा रहे हैं. ऐसे में समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.

कैग ने देहरादून और नैनीताल जनपद के समाज कल्याण कार्यालय के अभिलेखों की जांच की थी. जिसमें पाया कि साल 2018 के रिकॉर्ड में इस योजना के तहत 498 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया. जिसके तहत 95 लाख 60 हजार रुपए बांटे गए. हालांकि जांच में पाया गया कि 268 लाभार्थी ऐसे हैं जो गैर-बीपीएल परिवार से आते हैं और इनको मिलीभगत के जरिए लाभ पहुंचाया गया.

सहायक समाज कल्याण अधिकारी केआर जोशी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा संचालित योजना में लापरवाही गंभीर विषय है. इस योजना के संचालन की मुख्य जिम्मेदारी जिला समाज कल्याण अधिकारी की होती है. लेकिन जिला समाज कल्याण विभाग अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं. पूरे मामले की जांच कराई जा रही है.