नेपाल से आने वाले हाथियों से सीमांतवासियों में दहशत का माहौल

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नेपाल से आने वाले हाथियों से सीमांतवासियों में दहशत का माहौल

खटीमा : देश की सीमा के साथ भारत और नेपाल के जंगल भी आपस में जुड़े हैं। ऐसे में जंगली जानवरों का भी इधर-उधर जाना लगा रहता है। हिरन, चीतल, भालू, गुलदार कई बार आते जाते रहे हैं। लेकिन भटककर यहां सरहद पार पहुंचने वाले गजराज सीमांतवासियों पर कहकर बनकर गरजते हैं। दो वर्ष पहले नेपाल से आए दो नर हाथी ने सीमांत के जंगल से होते हुए यूपी में जमकर उत्पात मचाया। कई लोगों की जान ले ली। सरकारी आंकडों पर गौर करें हाथियों ने बीते दस सालों में दस लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। अधिकांश हमलावर हाथी को टस्कर के रूप में देखा गया है। वन महकमे ने जंगल में नो इंट्री के साथ एलर्ट किया हुआ है।

तराई पूर्वी वन प्रभाग के उप डिवीजन में किलपुरा, खटीमा व सुरई रेंज के घने जंगल हैं। इनमें खटीमा व सुरई रेंज के जंगल पड़ोसी देश नेपाल एवं उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हैं। किलपुरा व खटीमा रेंज हाथी कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है। जंगलों के सटे होने के कारण हाथियों के झुंड इधर से उधर विचरण करते रहते हैं। खटीमा रेंज का नखाताल का जंगल नेपाल के बिल्कुल सटा है। यहां हाथियों की संख्या लगभग तीस से चालीस है।

नेपाल से भटकर आने वाले हाथी अक्सर सीमावर्ती गांवों के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनते रहे हैं। ग्रामीणों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके  अलावा कई बार हाथी व मानव के बीच संघर्ष की घटनाएं भी हुई हैं। दो साल पहले नेपाल से भटकर सुरई रेंज के जंगल से होते हुए पड़ोसी राज्‍य उत्तर प्रदेश के रामपुर तक जा पहुंचे थे। हालांकि बाद में वन र्किमयों ने इन हाथियों को ट्रेंक्यूलाइज कर जेसीबी की मदद से नेपाल सीमा से जंगलों में छोड़ दिया था। इस बीच फिर बताते हैं कि दो टस्कर सीमावर्ती जंगलों में देखे गए हैं। जिनको लेकर ग्रामीण दहशत में है। उन्हें अंदेशा है कि कहीं टस्कर हमला ना कर दे। इस सूचना के बाद वन महकमा भी एलर्ट हो गया है। टस्करों की निगरानी की जा रही है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी खटीमा शिवराज चंद ने बताया कि जंगल में हाथी झुंड के साथ भी हैं और अकेला चलने वाला टस्कर भी है। दो महीने पहले ही श्रीपुर बिछवा में हाथी ने एक ग्रामीण को पटककर मार दिया था। नेपाल का जंगल और खटीमा का जंगल आपस में मिला हुआ है। हाथी आते जाते हैं। सुरक्षा को लेकर वन कर्मियों को एलर्ट किया हुआ है साथ ही ग्रामीणों से जंगल में जाने पर रोक लगा रही है।

हाथियों के हमले में दस सालों में हुई दस लोगों की मौत

खटीमा व किलपुरा रेंज के जंगलों में दस सालों के भीतर दस लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश लोग ऐसे थे जो जंगलों में लकड़ी बीनने गए हुए थे।

किलपुरा रेंज में इन लोगों की हाथी के हमले में हो चुकी है मौत

2011 मे पेशकार पुत्र कदम रसूल

2011 में नरेश सिंह पुत्र उदय सिंह

2011 में नरुली देवी

2012 में अमर सिंह पुत्र उमेद सिंह

2015 में छवीलाल

2017 में राजेंद्र सिंह

2018 में एवरन सिंह

2021 में उमेद सिंह

जबकि खटीमा में रेंज के जंगल में 2016 व 2019 में दो लोगों की मौत हो चुकी है।

इन गांव में हमेशा रहती है दहशत 

बूढाबाग, नौगवांनाथ, नई बस्ती पचौ रिया, अंज निया, बि रिया मझोला, लालकोठी, श्रीपुर बिछवा आ दि सीमावती् गांव में दहशत रहती है। कई बार ग्रामीण रात भर फसलों की सुरक्षा के लिए रातभर होहल्ला कर जगे रहते हैं।

सुरक्षा को लेकर कई बार कर चुके हैं मांग 

च्येष्ठ ब्लाक प्रमुख प्रवीन सिंह पिंटू, पचौ रिया गांव के पूर्व प्रधान पति मोहन जोशी, कैलाश बिष्ट ने बताया कि वन विभाग को सुरक्षा को लेकर पत्राचार कर चुके हैं। ले किन अभी तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है।