बैंकों के निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल का व्यापक असर
कोटद्वार। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आवाहन पर निजीकरण के विरोध में राष्ट्रीकृत बैंकों की दो दिवसीय हड़ताल का व्यापक असर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक इस हड़ताल से प्रभावित हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बन्ध रहे। हड़ताल के चलते अधिकांश एटीएम खाली हो चुके हैं। बैंक कर्मियों ने पंजाब नेशनल बैंक की मुख्य शाखा के समीप एकत्रित होकर नारेबाजी करते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों तथा बैंकों के निजीकरण का विरोध किया। उन्होंने सरकार के इस निर्णय को जनविरोधी करार देते हुए तीव्र भर्त्सना की। हड़ताली कर्मचारियों ने इस निर्णय को आमजन, किसानों, लद्यु बचत कर्ताओं, पेंशन भोगियों, लद्यु एंव मध्यम उद्यमियों, व्यापारियों, महिलाओं, बेरोजगारों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस काले कानून को लागू नहीं करना चाहिए। यदि यह काला कानून लागू होगा तो इससे न केवल पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि आम जनता को भी मूलभूत आवश्यकता से भी वंछित रहना पड़ सकता है। इस व्यवस्था से जनता की बचत पूंजी पर बड़े कॉरपोरेट घरानों का कब्जा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को कॉरपोरेट घरानों को दिये कर्जों की वसूली के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के अध्यक्ष जे.पी. बहुखण्डी ने भी हड़ताल का सर्मथन किया। इस अवसर पर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के संयोजक डी. पी. एस. बिष्ट ने प्रधानमंत्री से अपील की जन हित में इस निर्णय को अविलम्ब वापस लिया जाए। उत्तरांचल बैक कर्मचारी संगठन के जिला मंत्री बीरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यदि सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया को वापस नहीं लिया तो बैंक कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगें। इस अवसर पर हरजीत सिंह, रमेश नेगी, रचित रावत, आदेश बिष्ट, डी. एस. असवाल, एस.एल. आर्य, अनिल सिंघल, राजे सिंह, सुनील रावत, प्रेम सिंह, संन्तोष धस्माना, अरविन्द कुमार, रोहित वर्मा, हिमांशु काला, सिद्धार्थ, रिद्धिमा, इन्द्रमोहन रावत, जयपाल बिष्ट, अमित चौधरी, तपस्या जखमोला, सविता कोटनाला, धर्मपाल नेगी, मंजीत रावत, सुरेन्द्र सिंह गुसाईं यशपाल सिंह आदि उपस्थित थे।