सांसद तीरथ को सी एम बनाकर भाजपा ने किया चुने हुए वरिष्ठ विधायकों का अपमान – भावना पांडे

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सांसद तीरथ को सी एम बनाकर भाजपा ने किया चुने हुए वरिष्ठ विधायकों का अपमान – भावना पांडे

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नाम का ऐलान होने के साथ ही भाजपा को अब एक नए चेहरे के साथ मैदान में उतरना होगा। हालांकि सीएम तीरथ सिंह रावत के पास अपनी पारी खेलने के लिए बहुत कम समय मिलेगा ,लेकिन इस चुनौती के साथ उन्हें सरकार संगठन को साथ लेकर चलना होगा कि जो खामियां और जो नाकामयाबियाँ त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने पीछे छोड़ गए हैं उससे पार्टी को उबार सकें।
इन सबके बीच अब उत्तराखंड के आंदोलनकारियों ने भी तीरथ सिंह रावत के चयन पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है राजनीतिक दल के तौर पर उत्तराखंड में स्थापित हो रहे तीसरा विकल्प की संयोजक और वरिष्ठ आंदोलनकारी भावना पांडे ने तो यहां तक कह दिया कि प्रचंड बहुमत की 57 – 58 विधायकों वाली भाजपा के पास क्या ऐसा एक भी काबिल विधायक मुख्यमंत्री के लायक नहीं है जो कुछ महीनों की बची भाजपा  सरकार के कार्यकाल को पूरा कर सके।
 वरिष्ठ आंदोलनकारी भावना पांडे ने प्रदेश की जनता और भाजपा के नेतृत्व से भी सवाल किया जब उनके विधायकों में कई बार के जीते हुए वरिष्ठ विधायक और अनुभवी मंत्री शामिल हैं ऐसे में एक सांसद को दिल्ली से उत्तराखंड वापस भेजना बताता है कि भाजपा को अपने चुने हुए विधायकों पर भी भरोसा नहीं है।
भावना पांडे ने हैरानी जताते हुए कहा कि वरिष्ठ विधायकों और मंत्रियों में सतपाल महाराज , हरक सिंह रावत , सुबोध उनियाल , मदन कौशिक और भी कई नाम शामिल है जो तीरथ सिंह रावत से कहीं ज्यादा अनुभवी और सरकार चलाने का तिगड़म जानते हैं बावजूद इसके उन्हें दरकिनार कर केंद्र ने एक सांसद को मुख्यमंत्री की कुर्सी थमा दी है वह भी गिने-चुने महीनों के लिए यह उत्तराखंड के जनादेश का भी अपमान है।
तीसरा विकल्प संयोजक भावना पांडे ने यह भी कहा कि अगर इन चुने हुए विधायकों में मुख्यमंत्री बनने की काबिलियत नहीं है तो फिर अगले चुनाव 2022 में पार्टी टिकट देकर जनता के वोट बेकार ना करें। तीसरा विकल्प के तौर पर उत्तराखंड में राजनीतिक पारी खेलने को तैयार भावना पांडे ने तो यह भी कहा कि जूनियर को कमान देने से कहीं अच्छा था कि वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत , हरबंस कपूर जैसे लोगों को मुख्यमंत्री बनाते , इसके साथ ही भावना पांडे ने अनिल बलूनी रमेश पोखरियाल निशंक की भी वकालत करते हुए कहा कि अगर बाहरी व्यक्ति को बनाना ही था तो इन नामों पर केंद्र के भाजपा नेतृत्व को विचार करना चाहिए था।