नई टिहरी के बौराड़ी में जीर्णशीर्ण पड़े ऐतिहासिक तोपगढ़ का होगा जीर्णोद्धार

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नई टिहरी के बौराड़ी में जीर्णशीर्ण पड़े ऐतिहासिक तोपगढ़ का होगा जीर्णोद्धार

नई टिहरी: बौराड़ी में जीर्णशीर्ण हालत में पड़े ऐतिहासिक तोपगढ़ के दिन बहुरने वाले हैं। गढ़ के जीर्णोद्धार के लिए नगरपालिका अध्यक्ष सीमा कृषाली ने कदम उठाया है। उनके साथ ही कई थोकदार और जनप्रतिनिधि भी हाथ बढ़ा रहे हैं। जीर्णोद्धार होने से यह स्थल अब पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगा। इस गढ़ की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसके निर्माण में कम से कम एक-एक टन के पत्थर लगे हैं। पत्थर कहां से आए इसका भी किसी को पता नहीं है। यही कारण है कि बौराड़ी के विस्थापन के बाद पुनर्वास निदेशालय ने इस गढ़ को छुआ तक नहीं।

इतिहास बताता है कि चमोली जिले के कपीरी पट्टी में तोप गढ़ पर जब आक्रमण हुआ तो तोपाल शिरोमणि टिहरी कीओर चल दिए थे। जबकि कुछ पौड़ी जिले में पैडुलस्यूं चले गए थे। अब हजारों साल से उपेक्षित पड़े इस ऐतिहासिक गढ़ को टिहरी की पहचान बनाई जाएगी। यह स्थल तोपाल (तोपवाल) बंधुओं की ऐतिहासिक धरोहर है।

इस गढ़ को विकसित करने के लिए अब नगरपालिका, जनप्रतिनिधियों और थोकदारों ने विकसित करने का निर्णय लिया है। गढ़ का जीर्णोद्धार होने से इसे पर्यटन के रूप में नई पहचान मिलेगी। चमोली का तोपगढ़ बावन गढों में शामिल था, लेकिन यह भी उसी का एक खंड है जो महत्वपूर्ण है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व आजाद हिद फौज में रहे औतार सिंह तोपवाल के पुत्र (सेवानिवृत्त तहसीलदार) विजयपाल सिंह तोपवाल ने इसके सौंदयीकरण किए जाने पर प्रसन्नता जताई। इतिहासकार महीपाल सिंह नेगी का कहना है कि इतिहास में 16 वीं शताब्दी में इसका उल्लेख मिलता है। चमोली से पलायन के बाद यह क्षेत्र उप्पू के भड़ कफ्फू चौहान के अधीन था। बाद में राजा अजपाल ने कफ्फू चौहान को युद्ध में हराया जिसके बाद यह क्षेत्र में अजयपाल के कब्जे में आया और बाद में यह तोपवाल वंश के अधीन हुआ। पालिका अध्यक्ष सीमा कृषाली ने बीते दिन भूमि पूजन के साथ ही इसकी शुरुआत की है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नई टिहरी को पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में तोपगढ़ का सौंदर्यीकरण एवं विकास महत्वपूर्ण साबित होगा। पालिका अध्यक्ष ने कहा कि इस स्थल पर 100 फुट का झंडा स्थापित किया जाएगा जो आकर्षण का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटक स्थल के रूप में इस स्थल को विकसित किया जाएगा