नेपाल में बहाल होगी संसद, शेर बहादुर देउबा होंगे नए पीएम- सुप्रीम कोर्ट
नेपाल (Nepal) के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दूसरी बार संसद भंग करने के फैसले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने संसद को भंग करने के फैसले को पलट कर संसद को बहाल करने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) को अगला प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश जारी किया है. ये फैसला केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) द्वारा संसद भंग करने के बाद लिया गया है.
नेपाली सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अल्पमत की सरकार चला रहे केपी शर्मा ओली को बड़ा झटका लगा है. हाल ही में उन्होंने संसद में विश्वास मत भी गंवा दिया था. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सोमवार को नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को दो दिनों के भीतर प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का भी आदेश दिया. चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली पीठ ने पिछले सप्ताह मामले में सुनवाई पूरी की थी. पीठ में सुप्रीम कोर्ट के चार अन्य वरिष्ठतम जज दीपक कुमार कार्की, मीरा खडका, ईश्वर प्रसाद खातीवाड़ा और डॉ आनंद मोहन भट्टराई शामिल हैं.
चुनाव आयोग ने मध्यावधि चुनाव के कार्यक्रम का किया ऐलान
राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (Bidya Devi Bhandari) ने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली की सिफारिश पर पिछले पांच महीनों में 22 मई को दूसरी बार संसद के निचले सदन को भंग कर दिया और 12 से 19 नवंबर के बीच मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की. नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में विश्वास मत खोने के बाद प्रधानमंत्री ओली फिलहाल अल्पमत की सरकार चला रहे हैं. पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने चुनावों को लेकर अनिश्चितता के बावजूद मध्यावधि चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी. चुनाव आयोग ने घोषणा की कि चुनावी प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू होगी. चुनावी कार्यक्रम के अनुसार, राजनीतिक दलों को 15 से 30 जुलाई के बीच चुनाव आयोग में पंजीकरण कराना होगा.
पिछले साल से राजनीतिक संकट में फंसा है नेपाल
गौरतलब है कि नेपाल पिछले साल 20 दिसंबर को राजनीतिक संकट में फंस गया. दरअसल, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के भीतर सत्ता के लिए संघर्ष के बीच राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर सदन को भंग कर दिया. साथ ही 30 अप्रैल और 10 मई को नए चुनावों की घोषणा का ऐलान कर दिया. 23 फरवरी को शीर्ष अदालत ने भंग किए गए प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया, जिससे प्रधानमंत्री ओली को झटका लगा. ओली मध्यावधि चुनावों की तैयारी करने में जुटे हुए थे.