मानवता की मिसाल कायम करते डॉक्टर नौटियाल आखिर, काबिल व्यक्तियों को क्यों ना मिले पद्म विभूषण

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उत्तराखंड के देहरादून में एक ऐसा एक डॉक्टर है जिनका नाम है डॉक्टर विजय कुमार नौटियाल वो लगातार मानवता की मिशाल पेश करते रहते है अमूमन उनको यह भी देखा गया कि वो अपने पेशे से कभी भी कोई खिलवाड़ नही करते है अगर बात सीधी करूँ तो जितना बड़ा मानवता का धर्म है उस धर्म से बड़ा कोई धर्म नही होता है उसकी जीत जागता मिशाल है विजय कुमार नौटियाल आज इस के बारे में बात करते है इस पेशेंट का नाम संजीव राणा है और यह कुनैन चकराता का रहने वाला है इसके 3 साल पहले रीड की हड्डी में चोट लगने की वजह से कमर से नीचे काम करना बंद कर दिया था और पिछले 3 सालों से बेड पर ही लेटा हुआ था इनको हमारे बारे में जानकारी मिली तो मेरे पास आए मैंने इनको एडवांस रिसिप्रोकल गेट ऑर्थोसिस के सहारे चला दिया है और कुछ ही दिनों बाद यह एल्बो क्रच के सहारे अपने दैनिक कार्य बिना कोई रुकावट के कर सकता है

ऐसे बहुत सारे लोग हैं हमारे उत्तराखंड में जिनको कमर की हड्डी में चोट लगने की वजह से कमर के नीचे वाला हिस्सा काम नहीं करता है और वह ताउम्र व्हीलचेयर या बिस्तर पर ही लेटे रहते हैं हमारे नौटियाल कृत्रिम अंग केंद्र में इस प्रकार की एडवांस रिसिप्रोकल गेट ऑर्थोसिस देकर ऐसे मरीजों को पुनर्वास कर उनके दैनिक कार्य करने में मदद मिल सकती है जिसके लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए सरकारों को भी इसमें जागरूकता फैलानी चाहिए इस पर थोड़ा सा प्रकाश डालता हूँ  ये लगातार कई वर्षों से दिव्यांगों के उत्थान के लिये कार्य कर रहे है कई बार दिव्यांगों को तीर्थ यात्र तक करवा चुके है पैदल केदारनाथ यात्रा पड़ाव सबसे महत्वपूर्ण थी गंगोत्री से गौमुख की यात्रा भी मुश्किल भरी थी पर आसानी से करवा दी इनके बारे में रोचक बातें है कार्य करने का जुनून है मन में सेवाभाव है तो फिर ऐसे मानवीय चेहरों को सरकार को भी ध्यान रखने की जरूरत है अगर मानव जीवन में मानवता से बड़ा कोई धर्म नही है तो ।

कुछ बातें बाद में भी लिखूंगा अपडेट के सांथ आपका कैलाश जोशी अकेला