प्रोटीन से भरपूर है काले भट्ट की दाल

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प्रोटीन से भरपूर है काले भट्ट की दाल

 

               डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

पिछले एक दशक मे उत्तराखंड के कई स्थानों पर कृषि में विविधिता आई है, जिससे किसानों की आय मे भी वृद्धी हुई है। लेकिन पारंपरिक फसलों की अनदेखी के चलते इनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गयी हैं। इन्हीं मे से एक काला भट्ट है जिसकी दिन प्रति दिन पैदावार कम हो रही है। लेकिन इस काले भट्ट की अन्तराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है।
पहाड़ी क्षेत्रों मे भट्ट की कई किस्मे हैं, जिसमे काला चपटा मुख्य किस्म है। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय बाज़ार में काला भट्ट की भारी मांग है इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड अत्यधिक मात्रा मे पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी होता है। उत्तराखंड में इसकी परम्परागत खेती होती थी लेकिन आज के समय में यह बहुत कम हो गयी है। कुमाऊँ क्षेत्र में उगाई जाने वाली एक पारम्परिक दाल है। पहाड़ी क्षेत्रों में भट्ट की अनेक किस्में पाई जाती हैं, जिनमें से काला भट्ट प्रमुख किस्म है। अपने उच्च पोषण तत्व औषधीय महत्व के कारण काला भट्ट कुमाऊँ क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण फसल है। यह दाल प्रोटीन का समृद्ध स्रोत होने के साथ साथ कोलेस्ट्रॉल मुक्त भी होती है जो दिल की बीमारियों से बचाता है। काला भट्ट स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। पेट के अतिरिक्त तन्त्रिका तन्त्र को दक्ष बनाने में भी उपयोगी साबित होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध भट्ट की चुड़कानी भी काले भट्ट से बनाई जाती है, जो कि हर पहाड़ी की पसंद होती है। पहाड़ों में पाई जाने वाली भट्ट ईस्ट एशिया की मूल प्रजाति है और चीन इसका मूल राष्ट्र है. भारत के अलावा अमेरिका में भी आमतौर पर भट्ट खाए जाते हैं. पहाड़ों में काले, पीले, भूरे और हल्के सफेद रंग के भट्ट की खेती होती है. भट्ट का बीज और फल उपयोगी माना जाता है. भट्ट में प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर जैसे पोषण तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. 100 ग्राम काले भट्ट में 1500 मिलीग्राम पोटैशियम, 9 मिलीग्राम सोडियम और 21 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. साथ ही इसमें मौजूद विटामिन ए, बी12, डी और कैल्शियम भी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है. भट्ट एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्त्रोत है. देवभूमि की हवाओं, वादियों, परिवेश को यूं ही तो इतना नहीं माना जाता। सुंदरता के लिहाज से प्रदेश की ओर पर्यटक खिंचे चले आते हैं। लेकिन सुंदरता के अलावा भी हमारे उत्तराखंड में बहुत कुछ है। हमारे पहाड़ के खेतों में एक ऐसे सोर्स की खेती होती है जो प्रोटीन के मामले में मांसाहारी खाने को भी टक्कर दे सकता है। उत्तराखंड में कृषि के क्षेत्र में काम कर रही संस्था हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि पहाड़ में खेती उत्पादन कम हो रहा है। इसकी कई वजहें हैं। सरकार और यहां के स्थानीय लोगों को मिलकर इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए काम करने की जरूरत है। मार्केट में इनकी मांग अधिक है, लेकिन उस अनुसार इनका उत्पादन काफी कम है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा प्रदेश के चमोली, उत्तरकाशी, देहरादून, बागेश्वर आदि जिलों में पहाड़ी अनाजों की खेती और उत्पादों को बनाने का काम किया जा रहा है। उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराएं आपको अच्छी लगती हैं? यहां का खान-पान और खासकर दालें भी आपको पसंद होंगी। यहां के खान-पान में विविधता का समावेश है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर उत्तराखंडी खान-पान में विशेष तौर पर मोटी दालों को विशेष स्थान मिला हुआ है।