पाकिस्तान का ये पूर्व सैनिक 1971 का ‘हीरो’, बांग्लादेश के निर्माण में निभाई थी अहम भूमिका

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पाकिस्तान का ये पूर्व सैनिक 1971 काहीरो’, बांग्लादेश के निर्माण में निभाई थी अहम भूमिका

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

कर्नल जहीर सियालकोट सेक्टर में तैनात पाकिस्तानी सेना में एक युवा अधिकारी थे और उसके बाद मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में क्रूरता और नरसंहार को देखते हुए भारत में प्रवेश करने में सफल रहे। सीमा पार करते समय उनकी जेब में सिर्फ 20 रुपये थे। शुरू में उन पर पाकिस्तानी जासूस होने का संदेह था। एक बार जब वह भारत आए, तो उन्हें पठानकोट ले जाया गया, जहां सैन्य अधिकारियों ने उससे और पाकिस्तानी सेना की तैनाती के बारे में पूछताछ की।ले काजी सज्जाद अली जहीर के भारत भागने के बाद बांग्लादेश में उनके घर को पाकिस्तानी सेना आग लगा दी। उनकी मां और बहन को भी पाकिस्तानी सेना ने टॉरगेट किया, लेकिन वो दोनों भागकर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच गईं। कर्नल जहीर 1969 के आखिर में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। तब बांग्लादेश पर भी पाकिस्तान का ही शासन था। पाकिस्तानी सेना की आर्टिलरी कोर (तोपखाना) में शामिल हुए जहीर को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया। कर्नल (सेवानिवृत्त) काजी सज्जाद अली जहीर एक पूर्व पाकिस्तानी सैनिक हैं और इनकी कहानी बहादुरी से भरी हुई है. इन्हें 1971 के युद्ध नायक के तौर पर देखा जाता है. इस दौरान वो कई खुफिया दस्तावेज और नक्शों के साथ भारत पहुंचन में कामयाब रहे थे. इससे पहले वो सियाकोट सेक्टर में तैनात थे. जिन दस्तावेजों के साथ वो भारत पहुंचने में कामयाब रहे थे, उनमें पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार बढ़ाने और नरसंहार की योजना जैसी चीजों के बारे में जानकारी थी.जानकारी के मुताबिक शुरुआत में उन्हें पाकिस्तानी जासूस समझकर हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद पठानकोट में उनसे वरिष्ठ अधिकारियों ने पूछताछ की, जिसके बाद पता चला कि वो बांग्लादेश की मदद करने के लिए कुछ बहुत ही जरूरी दस्तावेजों के साथ भारत पहुंचे हैं. वहीं जब पाकिस्तानी सेना को जहीर के बारे में पता चला तो उनके खिलाफ मौत की सजा सुनाई गई. साथ ही उनके परिवार को भी बुरी तरह से टॉर्चर किया गया. हालांकि अच्छी बात ये रही कि उनकी मां और बहन सुरक्षित स्थान तक पहुंच गई थी. बांग्लादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद उनका नाम कई सालों तक गुमनामी में रहा. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काजी सज्जाद अली जहीर आज भी पाकिस्तान के लिए मोस्ट वांटेड हैं. पिछले महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में काजी सज्जाद अली जहीर को 2021 के पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा. पुरस्कार मिलने के बाद काजी सज्जाद अली जहीर ने कहा था कि ये एक सपने के सच होने जैसा है. मुझे लगा कि चीजें भूल गई हैं, लेकिन मैंने पाया कि भारतीय लोग, भारतीय सरकार और आपका सिस्टम नहीं भूलता. मैंने जो छोटी भूमिका निभाई, उसे याद किया गया. साथ ही कहा कि वित्तीय कारणों से मुझे पाकिस्तानी सेना में शामिल होना पड़ा. मैं एक वरिष्ठ अधिकारी बनना चाहता था, मुझे पता चला कि ये पाकिस्तान हमारे लिए नहीं है. वो हमारे साथ दुर्व्यवहार करते थे, हमारी आलोचना करते थे, हमारा मजाक उड़ाते थे. वो हमारे साथ नौकरों जैसा व्यवहार करते थे. पद्म पुरस्कार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हर साल घोषित भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है. बांग्लादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद उनका नाम कई सालों तक गुमनामी में रहा. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काजी सज्जाद अली जहीर आज भी पाकिस्तान के लिए मोस्ट वांटेड हैं