मुरली मनोहर जोशी की बुद्धिमत्ता और राष्ट्र के विकास में योगदान 

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मुरली मनोहर जोशी की बुद्धिमत्ता और राष्ट्र के विकास में योगदान 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक साहित्यिक,  कला, राजनैतिक तथा विभिन्न क्षेत्रों में अल्मोड़ा की अपनी एक विशिष्ट पहचान रही है। इस शहर ने पूरे देश को कई विलक्षण प्रतिभाए दी हैं ,राजनीति में भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत, कामरेड पी.सी. जोशी, मुरली मनोहर जोशी, साहित्यिक क्षेत्र में शिवानी, मनोहर श्याम जोशी, रमेश लाल शाह एवं पूर्व थल सेनाध्यक्ष बिपिन चन्द्र जोशी, सहित अनेक विभूतियां इसी  माटी से संबंध रखती हैं।अल्मोड़ा में जन्मे और यहीं से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले भाजपा नेता नेती मुरली मनोहर जोशी पद्म विभूषण से सम्मानित हुए हैं.अल्मोड़ा के गल्ली गांव के एक साधारण परिवार में डॉ जोशी का जन्म हुआ था. आपातकाल के बाद पहली बार वो यहीं से लोकसभा सदस्य चुने गए थे  डॉ मुरली मनोहर जोशी भी अल्मोड़ा से ही आते हैं. राजनीति के उच्चशिखर पर पहुंच चुके जोशी ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत अल्मोड़ा लोकसभा से ही की थी. आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वो इसी सीट से सांसद बने थे. उसके बाद इलाहाबाद, कानपुर सहित यूपी के अन्य स्थानों को उन्होंने अपना कर्मभूमि बनाया. उनके पिता का नाम मन मोहन जोशी था और उनकी पत्नी का नाम तरला जोशी है. उनका पैतृक निवास-स्थान वर्तमान उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र में है. जोशी की प्रारंभिक पढ़ाई अल्मोड़ा में हुई. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएससी किया, जहां प्राध्यापक राजेंद्र सिंह उनके एक शिक्षक थे. यहीं से उन्होंने अपनी डॉक्टोरेट की उपाधि भी हासिल की. जोशी का शोधपत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी था और अपना शोधपत्र हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करने वाले वे प्रथम शोधार्थी हैं. 1958 में इलाहाबाद विवि से डी.फिल. की उपाधि भी हासिल की. बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लेक्चरर बनकर अध्यापन के क्षेत्र में उतरे थे. मुरली मनोहर जोशी 1944 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता बने और 1949 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े. इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गए. युवा अवस्था से ही जोशी का झुकाव राजनीति की तरफ रहा. 1955 में कुंभ किसान आंदोलन से मुरली मनोहर जोशी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. उन्होंने 1957 में भारतीय जनसंघ की सदस्यता ग्रहण की. उनके पिता मनमोहन जोशी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर थे. महज़ 24 दिन की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया. मां की ममता तले वो ननिहाल में ही पले-बढ़े. बिजनौर, अल्मोड़ा, मेरठ, इलाहाबाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की.  इलाहाबाद विवि से उन्होंने भौतिकी विज्ञान में एमसससी और स्पेक्ट्रोस्कोपी में डी फिल किया. आगे चलकर यहीं वो भौतिकी विभाग में पढ़ाने लगे और विभागाध्यक्ष बने. इलाहाबाद में ही उनकी मुलाकात प्रो राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया से भी हुई. भविष्य में रज्जू भैया सरसंघचालक बने (संघ के पहले गैर ब्राह्मण प्रमुख भी). रज्जू भैया के सान्निध्य में ही डॉ जोशी ने संघ कार्य तेज़ कर दिया. इलाहाबाद के गांव गांव जाकर वो प्रवास करने लगे. नौकरी के साथ संघ का काम ज़ोरशोर से तब तक चला जब तक वो पूरी तरह राजनीति में ही रच बस नहीं गए.
मुरली मनोहर जोशी की शादी हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर शिवानी की छोटी बहन तरला से हुई. तरला मध्यप्रदेश के रायपुर में अंग्रेजी की व्याख्याता थीं. शादी के बाद उन्होंने डॉ जोशी के साथ रहना शुरू कर दिया जिसके चलते उन्हें अध्यापन छोड़ना पड़ा. 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के वक्त जोशी पूरे सहयोग के साथ आगे आए और फिर उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 1996 में जब 13 दिनों के लिए बीजेपी की सरकार बनी थी, तो जोशी ने देश के गृहमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. वह 13 दिनों के लिए गृहमंत्री रहे थे. उन्होंने 16 मई 1996 को गृह मंत्री का पद संभाला था, लेकिन एक जून 1996 को सरकार गिरने की वजह से उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था. जोशी तीन बार इलाहाबाद के सांसद रहे. 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार झेलनी पड़ी थी. 2009 के चुनाव में वह वाराणसी से चुनाव लड़े और जीते.15वीं लोकसभा के कार्यकाल में 1 मई 2010 को उन्‍हें लोक लेखांकन समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया. हालांकि 2014 में मुरली मनोहर जोशी ने नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी लोकसभा सीट छोड़ दी थी. 2014 में जोशी ने कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और चुनकर संसद पहुंचे थे. फिलहाल जोशी सिर्फ बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं. हालांकि 2017 में मुरली मनोहर जोशी को पद्म विभूषण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मुरली मनोहर जोशी ही थे जिन्होंने विज्ञान और तकनीकी मंत्री के तौर पर देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनते देखा. उस वक्त प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पूर्व पीएम शास्त्री के नारे को संवर्धित करते हुए कहा था- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान. डॉ. मुरली मनोहर जोशी को लिखने का शौंक भी है और उन्होंने भारत को एक नई दिशा देने के लिए 4 पुस्तकें भी लिखी हैं.दून विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में सांसद तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी को डॉक्टर ऑफ लिट्रेचर की मानद उपाधि से नवाजा। कार्यक्रम में मुरली मनोहर जोशी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘आज न गंगा साफ है और न ही संसद। जब मैं अल्मोड़ा से सांसद बना था, तब गंगा भी साफ थी और संसद भी।’उनके जन्मदिन की हृदयतल से शुभकामनाएं। राष्ट्र व समाज के प्रति आपकी निष्काम सेवा भावना हम सभी के लिए अनुकरणीय है। प्रभु श्री राम से आपके सुदीर्घ एवं निरोगी जीवन की कामना करता हूं।