उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामले रहें सतर्क

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उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामले रहें सतर्क

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

देश दुनियां मे इस वक्त जो सबसे बड़ा खतरा सामने रहा है वो साइबर क्राइम से ही जुड़ा हुआ है। एक देश दूसरे देश के उपर साइबर अटैक करने का कोई भी मौका नही छोड़ता, वही एक छोटे से फोन या लैपटॉप कि मदद से हजारों किलोमीटर दूर बैठा एक ठग किसी के बैंक से पैसे उड़ा लेता है, तो इंटरनेट कि मदद से किसी कि निजि जिंदगी को भी सार्वजनिक कर देता है।आज जितनी तेजी से मोबाइल इंटरनेट कि सहुलियत बढ़ रही है। उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है साइबर क्राइम, उत्तराखंड भी इस क्राइम से बचा नही है, हर महीने सैकड़ों मामले साइबर क्राइम से जुड़े दर्ज किए जा रहे हैं।दुनियां में आज इंटरनेट अपने पैर लगभग हर जगह पसार चुका है, वहीं भारत की बात करें तो देशभर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या दूसरे नंबर पर है। लेकिन इंटरनेट के जितने फायदे हैं उतना ही आज नुकसान भी है। आज साइबर क्राइम तेजी से अपनी जड़ फैला रहा है, साइबर क्राइम नया भी है खतरनाक भी। खासतौर पर आम आदमी को पता भी नही चलता और वो साइबर ठग का शिकार भी हो जाता है,और साइबर ठग बैंको से पैसे उड़ा ले जाते हैं तो सोशल मीडिया पर लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के पोर्टल साइबर सेफ की रिपोर्ट बताती है कि देश के जिन शहरों में सबसे ज्यादा लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं, उनमें देहरादून का पांचवा नंबर है। 87 प्रतिशत से ज्यादा पढ़ी-लिखी जनसंख्या वाले उत्तराखंड के लिए यह एक तरह की विडंबना ही है।आए दिन लोग थोड़े से लालच में ठगों के झांसे में आकर जमा पूंजी गंवा रहे हैं। कम से कम ऐसी घटनाओं से सबक तो लेना ही चाहिए। पुलिस को भी साइबर ठगों पर नकेल कसने के लिए और अधिक गंभीरता दिखाने की जरूरत है।कहने को दून में साइबर थाना है, मगर साइबर ठगों को पकड़ने के लिए आवश्यक संसाधनों, साहस और प्रशिक्षण की कमी साफ झलकती है। मामलों की बढ़ती संख्या से पता चलता है कि पुलिसकर्मी या तो जांच में रुचि नहीं ले रहे या जांच करने में सक्षम नहीं हैं। इस दिशा में सरकार और विभाग को मनन करना चाहिए। 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2022 तक प्रदेशभर में अनुमानित लगभग 800 से अधिक साइबर मामलों की इन्वेस्टीगेशन लंबित है. इसकी 2 मुख्य वजह है. पहली यह कि साइबर क्राइम पुलिस विंग में इंस्पेक्टर की कमी है. क्योंकि आईटी एक्ट के मुताबिक, इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी ही साइबर क्राइम यानी IT act की विवेचना कानूनी नियमानुसार कर सकता है. दूसरी वजह यह कि साइबर क्राइम मामलों की जांच में कई तरह की तकनीकी समस्याएं हैं. जैसे उत्तराखंड में होने वाले साइबर क्राइम के देश के दूरस्थ हिस्सों के साथ विदेशों तक जुड़ा होना. ऐसे में जांच अधिकारी को साइबर अपराधी की गिरफ्तारी के अलावा व्यावहारिक रूप से साइबर क्राइम के सबूतों के जोड़ने में काफी लंबा समय लग जाता है. 1 जनवरी 2021 से 31 मार्च 2022 तक प्रदेशभर में अनुमानित लगभग 800 से अधिक साइबर मामलों की इन्वेस्टीगेशन लंबित है. इसकी 2 मुख्य वजह है. पहली यह कि साइबर क्राइम पुलिस विंग में इंस्पेक्टर की कमी है. क्योंकि आईटी एक्ट के मुताबिक, इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी ही साइबर क्राइम यानी IT act की विवेचना कानूनी नियमानुसार कर सकता है. दूसरी वजह यह कि साइबर क्राइम मामलों की जांच में कई तरह की तकनीकी समस्याएं हैं. जैसे उत्तराखंड में होने वाले साइबर क्राइम के देश के दूरस्थ हिस्सों के साथ विदेशों तक जुड़ा होना. ऐसे में जांच अधिकारी को साइबर अपराधी की गिरफ्तारी के अलावा व्यावहारिक रूप से साइबर क्राइम के सबूतों के जोड़ने में काफी लंबा समय लग जाता है. विभिन्न स्कीमों में मोटे मुनाफे का लालच देकर साइबर ठगों ने महिला सहित तीन लोग से चार लाख दो हजार रुपये ठग लिए। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। विश्वभर मे 10 मे से 2 लोग भारत के हैं जो साइबर क्राइम से पीडित हैं। आज स्थिति यह है कि लोगों के साथ साइबर क्राइम हो जाता है और उन्हें पता भी नही चलता, और जिन्हें पता चलता है वो पुलिस के पास शिकायत लेकर जाएं तो पुलिस को भी पता नही होता कि ये साइबर क्राइम किस तरह से हुआ है। जिस वजह से पुलिस को साइबर क्राइम से निपटना आसान नही होता, इसके लिए जरुरत है लोगों को जागरुक होने की साथ ही पुलिस को अपने साइबर तंत्र को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है।