तटबंध निर्माण की मांग को लेकर दिक्कत?

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तटबंध निर्माण की मांग को लेकर दिक्कत?

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उच्च हिमालय में पिघल रहे सीजनल ग्लेशियरों के चलते काली नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऊपर से अब सीमांत में मौसम भी अपना मिजाज बदल चुका है। आए दिन बारिश हो रही है। काली नदी किनारे स्थित गांवों और कस्बों में रहने वालों की धड़कन भी तेज हो चुकी है। नौ वर्ष पूर्व की हिमालयी सुनामी के जख्म अभी भरे नहीं हैं ऊपर से प्रतिवर्ष किनारे की भूमि को लील रही काली नदी से सबसे बड़ा खतरा बलुवाकोट को हुआ है। अभी मानसून काल प्रारंभ होने में डेढ़ माह का समय है नौ वर्ष पूर्व जून माह में आई आपदा ने सीमांत के कई स्थलों का भूगोल बदल दिया था। ऐसा ही एक स्थल टनकपुरतवाघाट हाईवे से लगा नेपाल सीमा पर स्थित बलुवाकोट है। जिस बलुवाकोट बाजार से 2013 से पूर्व काली नदी नजर नहीं आती थी , तब से काली नदी बाजार में स्थित मकानों के पास बह रही है। आपदा के बाद यहां पर बनाए गए तटबंध काली नदी की लहरों के वेग को नहीं संभाल सके और तटबंध क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बलुवाकोट को बचाने के लिए नए सिरे से तटबंध निर्माण भी नहीं हो रहा है।धारचूला में तटबंध निर्माण कार्य चल रहा है। बलुवाकोट की जनता भी धारचूला की तर्ज पर ही तटबंध निर्माण की मांग कर रहे हैं, परंतु तटबंध निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं होने से जनता में आक्रोश बढ़ चुका है। युवा नेता के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि काली नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। सरकार ने सुरक्षा के कदम नहीं उठाए हैं, लोगों के बेघर होने का खतरा बढ़ चुका है। पूर्व में प्रभावित परिवारों का विस्थापन नहीं किया गया है। युवा नेता ने कहा कि धारचूला की तर्ज पर ही बलुवाकोट में तटबंध निर्माण नहीं किया गया  भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा बनाने वाली काली नदी से भारतीय क्षेत्र में हो रहे कटान को रोकने के लिए बनाए जा रहे तटबंध निर्माण का कार्य ठप पड़ गया है। प्रशासन से खनन की अनुमति नहीं मिलने से कार्य अटक गया है। मानसून काल नजदीक देख क्षेत्रवासियों ने तटबंध निर्माण अविलंब पूरा कराए जाने की मांग की है। सीमांत तहसील मुख्यालय धारचूला में काली नदी पिछले कई वर्षों से भारी भू कटाव कर रही है। भू कटाव के चलते आबादी को भी खतरा बना हुआ है। वर्ष 2017 में आई भीषण आपदा में काली नदी ने धारचूला कस्बे को काफी क्षति पहुंचाई थी। पड़ोसी देश नेपाल ने काली नदी से अपनी जमीन को बचाने के लिए तटबंध का निर्माण पूर्व में ही करा लिया है, लेकिन भारत में अभी कई जगह पर निर्माण होना बाकी है। सिचाई विभाग के माध्यम से तटबंध निर्माण का कार्य चल रहा है। तटबंध बनाने के लिए रेत और पत्थरों को नदी तट से ही निकाला जा रहा है। इसके लिए शासन द्वारा खनन की अनुमति दी जाती है। जिसके चलते काली नदी के किनारे तटबंध निर्माण का काम फिलहाल रुक गया। क्षेत्रवासियों ने कहा है कि मानसून काल आने में अब केवल चार माह का समय बचा हुआ है। कार्य में होने वाला विलंब कस्बे के लिए घातक हो सकता है। क्षेत्रवासियों ने खनन की अनुमति देकर अविलंब तटबंधों का निर्माण कार्य पूरा कराए जाने की मांग की है। तहसील के उपजिलाधिकारी ने कहा है कि इस संबंध में जिलाधिकारी को जानकारी दी गई है। जल्दी निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। साल 2013 से 2020 के दौरान पता चला कि चंद्रा बेसिन के ग्लेशियरों के पिघलने और उनके वजन का वार्षिक दर -0.3±0.06 मीटर थी. इसी प्रकार, वर्ष 2000-2011 के के दौरान बास्पा बेसिन में ग्लेशियर औसतन ~50±11 मीटर की दर से कम हुए. GSI ने 9 ग्लेशियरों पर द्रव्यमान संतुलन की स्टडी की. हिमालयी क्षे… सुरू बेसिन, लद्दाख में डुरुंग-ड्रुंग तथा पेनसिलुंगपा ग्लेशियर भी क्रमश: 12 मीटर प्रति वर्ष तथा ~ 5.6 मीटर वर्ष की दर से सिकुड़ रहे हैं. मौसम के इन तेवरों का असर हिमालयी ग्लेशियरों पर भी दिख रहा है.हालांकि इनमें अभी लंबे समय तक के लिए पर्याप्त पानी मौजूद है, लेकिन समय रहते इनमें हो रहे बदलावों की चिंता करना भी जरूरी है, नहीं तो कुदरत का बिगड़ा हुआ संतुलन मनुष्य के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. यह जानकारी आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने एक लिखित उत्तर में लोकसभा में दी। जिस बलुवाकोट बाजार से 2013 से पूर्व काली नदी नजर नहीं आती थी , तब से काली नदी बाजार में स्थित मकानों के पास बह रही है। आपदा के बाद यहां पर बनाए गए तटबंध काली नदी की लहरों के वेग को नहीं संभाल सके और तटबंध क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बलुवाकोट को बचाने के लिए नए सिरे से तटबंध निर्माण भी नहीं हो रहा है।धारचूला में तटबंध निर्माण कार्य चल रहा है। बलुवाकोट की जनता भी धारचूला की तर्ज पर ही तटबंध निर्माण की मांग कर रहे हैं, परंतु तटबंध निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं होने से जनता में आक्रोश है कस्बे की सुरक्षा के लिए तटबंध निर्माण का कार्य बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें जरा भी लापरवाही का खामियाजा भविष्य में कस्बे के लोगों को भुगतना पड़ेगा