उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहा सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ

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उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहा सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

प्रदेश में वाहनों की संख्या के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ बढऩे लगा है। दुर्घटनाओं पर रोक के तमाम दावे किए गए। बावजूद इसके स्थिति यह है कि प्रदेश में अभी सड़क सुरक्षा के लिए जरूरत के सापेक्ष केवल 20 प्रतिशत कर्मचारी ही तैनात हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित सड़क सुरक्षा समिति ने प्रदेश सरकार से मानकों के अनुसार यातायात पुलिस कर्मियों की तैनाती की अपेक्षा की है प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ रहा है। इसे देखते हुए सड़क सुरक्षा समिति लगातार सड़क सुरक्षा से संबंधित विभागों को सड़क दुर्घटनाओं के मामले कम करने के दिशा-निर्देश दे रही है। इसके लिए वाहन व उपकरणों की खरीद के साथ ही मानव संसाधन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। बीपीआरडी के मानकों के अनुसार दो लाख वाहनों पर एक इंटरसेप्टर, एक लाख वाहनों पर एक ब्रेथ एनालाइजर, एक लाख वाहनों पर एक लेजर स्पीड गन और 10 हजार वाहनों पर एक बाडी वार्न कैमरा होना चाहिए। इस कड़ी में प्रदेश में अब तक 17 इंटरसेप्टर वाहन, 348 ब्रेथ एनालाइजर, 45 लेजर स्पीड गन, 233 बाडी वार्न कैमरा लिए जा चुके हैं। ये सभी उपकरण बीपीआरडी के मानकों के अनुसार है।मानक में जो कमी देखी गई है, वह यातायात पुलिस कर्मियों की है। दरअसल, यातायात पुलिस कर्मियों की संख्या शहर की श्रेणी के हिसाब से होती है। उत्तराखंड के सभी जिले सी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। सी श्रेणी के मानकों के अनुसार औसतन 950 वाहन पर एक यातायात पुलिस कर्मी होना चाहिए। प्रदेश में इस समय 33.15 लाख वाहन हैं। मानक के अनुसार इतने वाहनों पर 3490 यातायात पुलिस कर्मी होने चाहिए। इनके सापेक्ष अभी केवल 717 यातायात पुलिस कर्मी ही तैनात हैं। यह संख्या तय मानक का केवल 20 प्रतिशत है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित सड़क सुरक्षा समिति के सदस्यों ने प्रदेश सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए इस कमी को दूर करने की अपेक्षा की है। उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में 34.97 प्रतिशत दुर्घटनाएं अधिक हुई हैं। वहीं, मरने वालों की संख्या में 21.66 प्रतिशत अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।जहां वर्ष 2020 में कुल 1041 दुर्घटनाओं में 674 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी, वहीं वर्ष 2021 में 1405 दुर्घटनाएं हुईं और इनमें 820 व्यक्तियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। घायलों की संख्या में भी 27 प्रतिशत बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ष 2020 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में जहां 854 लोग घायल हुए थे, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1091 तक पहुंच गया है। प्रदेश में इस साल दुर्घटनाओं का ग्राफ काफी बढ़ा हुआ नजर आ रहा है। इसका एक कारण यह है कि वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लाकडाउन के कारण सड़कों पर वाहन कम चले। बावजूद इसके प्रदेश में 1041 दुर्घटनाएं हुईं। हालांकि, इसमें मृतकों का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम रहा। वर्ष 2021 में दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ने के साथ ही मृतकों की संख्या में भी काफी उछाल देखने को मिला है। इस बार दुर्घटनाओं की संख्या में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर एवं नैनीताल तो मृतकों की संख्या में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ एवं नैनीताल जिलों बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं, घायलों की संख्या में अल्मोड़ा, बागेश्वर, हरिद्वार, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर, देहरादून एवं नैनीताल में वृद्धि दर्ज की गई है। परिवहन आयुक्त ने इस पर चिंता जताते हुए प्रदेश के सभी जिला मजिस्ट्रेट और जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्षों को पत्र लिखकर सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने यातायात नियमों की उल्लंघन के संबंध में हेलमेट, सीट बेल्ट एवं मोबाइल फोन संबंधी अभियोग पर प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही के आदेश दिए हैं। पूरे देश में साल 2020 में 3,68,828 यातायात दुर्घटनाएं रिकार्ड की गई। इनमें 1,46,354 लोगों की जान चली गई। सड़क दुर्घटनाएं इन मौतों के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार रही। 3,54,796 सड़क दुर्घटनाओं में 1,33,201 लोगों की मौत हुई जो यातायात दुर्घटनाओं की कुल मौतों का 91 प्रतिशत है। इसके साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की संख्या भी 3,35,050 रही जो काफी ज्यादा है। 43.6 प्रतिशत दुर्घटना दो पहिया वाहनों, 13.2 प्रतिशत कार, 12.8 प्रतिशत ट्रक/लॉरी और सबसे कम 3.1 प्रतिशत बस दुर्घटनाएं हुई। रेलवे क्रोसिंग पर 1014 दुर्घटनाओं में 1185 मौतें हुई और 13018 रेल दुर्घटनाओं में 11968 अभागों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा साल 2020 में सड़क हादलों में जान गंवाने वाले लोगों में 69.80 प्रतिशत लोग 18 से 45 साल की उम्र के थे. सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भारत शीर्ष देशों में शामिल है. हर साल देश में लाखों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से अधिकांश दोपहिया वाहनों से जुड़ी होती हैं. इन सड़क दुर्घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में मौतें, गंभीर चोटें या पैरालिसिस हो जाता है. इन हादसों के कई कारण कई कारण होते हैं, जहां कई दुर्घटनाएं विभिन्न यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं, उनमें से कुछ वाहनों की तकनीकी खराबी के कारण होती हैं. कुछ सड़क दुर्घटनाएं खराब सड़क की स्थिति और सड़क के डिजाइन में खराबी के कारण भी होती हैं. पहाड़ की घुमावदार सड़कों पर हादसों की जांच के बाद सरकार मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा तो दे देगी लेकिन हादसे ही न हों इसके लिए प्रभावशाली कदम उठाए जाने की दरकार है। कहने को भारी-भरकम अमला है वाहनों-लाइसेंस की जांच और ओवरलोडिंग रोकने के लिए लेकिन हर बार हादसों के बाद सरकार जांच के बाद मुआवजे बांटने के बाद अपनी आंखें बंद कर लेती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड समेत देश के सभी राज्यों को बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद सचिव स्तर के अधिकारी कई बार संबंधित विभागों में सामंजस्य बनाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. लेकिन, नतीजा सिफर ही दिखाई दे रहा है और मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम के अलावा धरातल पर कोई अन्य कार्यक्रम देखने को नहीं मिला. उत्तराखंड में मॉनिटरिंग कमेटी ने कमेटी ने बढ़ते हादसों पर चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य में यातायात नियमों का अनुपालन ठीक से नहीं हो रहा है. ऐसे गाड़ियों की जांच में तेजी लाई जाए. यह सुनिश्चित कराया जाए कि चार पहिया चालक बगैर सीट बेल्ट के गाड़ी न चला पाएं. साथ ही नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे पर सघन जांच करने के साथ ही गाड़ियों की गति पर नियंत्रण लगाने को प्रभावी कदम उठाए जाएं. सभी जिलों में हाईवे पर होने वाले हादसों के आंकड़ों के आधार पर संवेदनशील स्थलों का चयन किया जाए और वहां हादसों को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएं.कमेटी ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों में जांच अभियान पर खासा फोकस करने का सुझाव दिया है. ताकि हादसों को रोका जा सके. इसके साथ ही नेशनल हाईवे एवं स्टेट हाईवे पर दुर्घटना संभावित इलाकों में स्ट्रीट लाइट की पर्याप्त व्यवस्था करने को भी कहा है