राज्यसभा उप सभापति डाॅ हरिवंश के कर कमलो देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान 2022’ प्रदान किया गया

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राज्यसभा उप सभापति डाॅ हरिवंश के कर कमलो देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान 2022’ प्रदान किया गया
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। स्वाधीनता सेनानी शुभकरण चूड़ीवाला की याद मे देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान 2022’ का आयोजन 17 मार्च की सांय प्रख्यात साहित्यकार अतुल प्रभाकर की अध्यक्षता मे गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली मे अंग मदद फाउन्डेशन भागलपुर (बिहार) द्वारा भव्य समारोह आयोजित कर किया गया। देश के विभिन्न राज्यो की विभिन्न क्षेत्रों में प्रवीण तेईस हस्तियों को मुख्य अतिथि राज्यसभा उप सभापति डाॅ हरिवंश के कर कमलो अन्य मंचासीन विशिष्ट अतिथियो प्रोफेसर रतन कुमार मंडल, पद्मश्री संजय नित्यानंद ठाकुर तथा बरखा लकडा के सानिध्य मे उक्त प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किए गए।

आयोजन का प्रभावशाली श्रीगणेश दयाराम सारोलिया की टीम द्वारा कबीर गायन से किया गया। आयोजकों द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियो को मंचासीन कर साल ओढा व पुष्पगुच्छ प्रदान कर अभिनंदन स्वागत किया गया। सुनील मंडल द्वारा सभी अतिथियों, सम्मान प्राप्तकर्ताओ व सभागार में उपस्थित प्रबुद्ध जनो का स्वागत अभिनंदन किया गया। प्रदान किए जा रहे सम्मान व अंग मदद फाउंडेशन के क्रिया कलापो के बावत अवगत कराया गया।

अंग मदद फाउंडेशन सचिव वंदना झा द्वारा सम्मान समारोह से पूर्व सम्मानित होने वाले प्रतिष्ठितो के नामों की घोषणा की गई। अवगत कराया गया, वर्ष 2022 का यह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान विभिन्न राज्यो के विभिन्न क्षेत्रों, समाजसेवा, भारत के आदिवासी समुदायों की सेवा, पत्रकारिता, शिक्षा, चिकित्सा, मानवाधिकार, महिला शक्तिकरण, कृषि, पर्यावरण, लोककला तथा लोकसंस्कृति के संरक्षण व संवर्धन आदि उत्थान कार्यो मे नि:स्वार्थ भाव, लम्बे समय से उत्कृष्ठ कार्य कर रहे प्रतिष्ठित लोगों का चयन समिति द्वारा चयन कर प्रदान किए जा रहे हैं।

चयन समिति द्वारा चयनित नामो, अजय यादव, अनुपमा झा, बीरेन्द्र कुमार सिंह, ब्रजेश कुमार झा, दीपिका, दयाराम सरोलिया, दीपक राव, डाॅ दर्शनी प्रिय, डाॅ जाहिदा शबनम, डाॅ उत्तम पीयूष, गौरव कुमार, कुलीना कुमारी, कुणाल सिंह, कुमार सत्यम, केदार नाथ शब्द मसीहा, नंद किशोर वर्मा, प्रशांत कुमार, राजीव कांत, राजीव गर्ग, राकेश कुमार, सुनीता रानी, शीतांशु अरुण, शैल माथुर को मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के कर कमलो शाल ओढा, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र स-सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया।

आयोजन के इस अवसर पर बरखा लकडा व डाॅ रतन कुमार मंडल द्वारा आदिवासी समुदायो के पिछडे पन पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया। व्यक्त किया गया इतिहास ने भी आदिवासियो से मुह मोड लिया है। इतिहास मे आदिवासियो के बलिदान का जिक्र तक नहीं हुआ है, जो जल जंगल व जमीन के लिए लडे। अवगत कराया मात्र लेखक ए के राय ने आदिवासियो के बलिदान पर जरूर प्रकाश डाला है। विदीशा सिंह द्वारा आयोजित आयोजन पर प्राप्त एक सन्देश पढ़ा गया।

सम्मान समारोह आयोजकों व विभिन्न क्षेत्रों में सम्मान प्राप्तकर्ताओ को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि व राज्यसभा उप सभापति डाॅ हरिवंश द्वारा बीज वक्तव्य मे व्यक्त किया गया, यह सम्मान जिस महापुरुष के नाम से दिया जा रहा है, इस सम्मान का महत्व बढ़ जाता है। अतीत के संस्मरण उज्ज्वल बनाता हैं, इसकी प्राप्ति तिलका मांझी के व्यक्तित्व को जानकर होता है। डाॅ हरिवंश द्वारा व्यक्त किया गया, देश के स्वाभिमान को तिलका मांझी ने आगे बढ़ाया। ऐसे लोग सदा प्रेरणा के श्रोत बने रहैंगे। चूड़ीवाला जी के योगदान पर भी डाॅ हरिवंश द्वारा विस्तार से अवगत कराया गया।

डाॅ हरिवंश द्वारा व्यक्त किया गया, 70 के दशक मे धर्मयुग मे छपे लेखो से मुझे आदिवासियों के संघर्ष के बावजुद अवगत हुआ। आजादी से पूर्व व बाद मे जो इतिहासकारों ने लिखा उसमे पूर्णता नहीं रही। आदिवासियों के हर इलाके मे वीरो की कहानिया भरी हुई हैं। इसीलिए आज तिलका मांझी को आने वाले समाज व भावी पीढी के उत्थान व जागरूकता के लिए याद किया जा रहा है। सरकार की ओर से कोशिश की गई है हर इलाके के क्रांतिकारियों व बलिदानियो के बावत जानकारी जुटाई जाए। आज वृतचित्र उन आदिवासी बलिदानियों की बन रही हैं, जो प्रेरणादायी रहे हैं।

डाॅ हरिवंश द्वारा व्यक्त किया गया, जिस परिसर में बडे-बडे प्रेरणादायी लोग रहे हैं, उनकी आवत-जावत रही है उस स्थान पर तिलका मांझी समारोह आयोजित करना बडी बात व सोच है। व्यक्त किया गया, आदिवासी महिलाओ का भी बड़ा योगदान रहा है। आने वाला समय कैसा बनाना है, आने वाली पीढी को कैसे हमारे बलिदानियों से प्रेरणा लेनी है यह सब ऐसे ही आयोजन व तिलका मांझी जैसे बलिदानियों को जानकर ही हासिल होगा। तिलका मांझी ने कैसे इतने बडे साम्राज्य को चुनौती दी सोचा जा सकता है। आजादी के अमृत काल मे अगर हम इन प्रेरणाश्रोतो से प्रभावित होते हैं तो समाज जरूर जागरूक बनेगा।

व्यक्त किया गया, आज हम बलिदानियो के संघर्ष के बल ही स्वतंत्र हैं। उस इतिहास से हमे प्रेरणा मिली, आज हम खुले आसमान के नीचे जी रहे हैं। उन लोगों की बदौलत जिंहोने संघर्ष किया अपना जीवन कुर्बान किया भविष्य की पीढ़ी के लिए।

सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात साहित्यकार अतुल प्रभाकर द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन मे सभी सम्मानितो को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने के लिए बधाई दी गई। व्यक्त किया गया, आज हम अधिकार की मांग ज्यादा करते हैं, तब अधिकार की बाते कम, संघर्ष की ज्यादा होती थी। आदिवासी जो मूल वासी हैं वह भूमि के असली मालिक होते हैं। अपने कर्तव्यो को निभाना हमारी जिम्मेदारी है।

आयोजित सम्मान समारोह का ज्ञानवर्धक व प्रभावशाली मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार, गांधी वादी व अंग मदद फाउंडेशन अध्यक्ष प्रसून लतांत द्वारा बखूबी किया गया।
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