उत्तराखंड की सिंघम लेडी रेखा पांडे बनी रानीखेत की पहली टैक्सी ड्राइवर

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कैलाश जोशी अकेला

देहरादून – कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है, सबको जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है। एक हिंदी फिल्म का यह गाना सटीक बैठता है रानीखेत की रेखा पांडे पर। पेशे से टैक्सी चालक पति की तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया। बल्कि खुद टैक्सी चलाना शुरू कर अपने परिवार का भरण पोषण करने और पति के ईलाज का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया। रेखा पिछले दो तीन महीने से रोज अपनी टैक्सी से रानीखेत से सवारी लेकर हल्द्वानी जाती है और शाम को फिर हल्द्वानी से सवारी लेकर रानीखेत वापस लौटती है।

वीओ 1- रानीखेत शहर में रेखा पांडे पेशे से गृहणी हैं। उनके पति स्वयं की टैक्सी चलाकर जैसे तैसे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। लेकिन कुछ महीनों पहले उन्हें पीलिया हो गया और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। ऐसे में परिवार की आजीविका चलाने की जिम्मेदारी रेखा के कंधों पर आ गई। रेखा ने विपरीत हालात में हिम्मत नहीं हारी और खुद टैक्सी चलाने का निर्णय लिया। पिछले दो तीन महीने से रेखा खुद अपने पति की टैक्सी चलाती हैं और प्रतिदिन यात्रियों को रानीखेत से हल्द्वानी और हल्द्वानी से रानीखेत तक लाती है। रेखा की इस इच्छा शक्ति से रानीखेत ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। रेखा टैक्सी चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही हैं। वहीं उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए जो कदम उठाया है उससे महिलाएं प्रेरित भी हो रही हैं।

बाइट 1- रेखा पांडे, टैक्सी चालक

वीओ 2- रेखा की इस हिम्मत के चर्चे आज पूरे प्रदेश में हैं। सूबे के परिवहन मंत्री चंदन राम दास को को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने रेखा से दूरभाष पर बातचीत की। परिवहन मंत्री ने उनके इस जज्बे की तारीफ ही नहीं की। बल्कि परिवहन विभाग से उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। चंदन राम दास ने वार्ता के दौरान उनसे उनके परिवार का हाल भी जाना।

बाईट 2- चंदन राम दास, परिवहन मंत्री, उत्तराखंड

एफवीओ = रेखा ने अपनी हिम्मत और जज्बे से जहां यह साबित कर दिखाया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुष प्रधान समाज से पीछे नही हैं। वहीं उनकी इस मिशाल से ग्रामीण परिवेश की महिलाएं प्रेरणा भी ले रही हैं। रेखा का मानना है कि अगर मन में कुछ करने की लगन हो तो कोई भी अड़चन सफलता के आड़े नहीं आती है।