पंचम दा’ की संगीत यात्रा पर सदाबहार फिल्मी गीतों का प्रभावशाली आयोजन ख्याति प्राप्त गायक रमेश नौटियाल के सानिध्य मे

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‘पंचम दा’ की संगीत यात्रा पर सदाबहार फिल्मी गीतों का प्रभावशाली आयोजन ख्याति प्राप्त गायक रमेश नौटियाल के सानिध्य मे
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। हिंदी फिल्मों के सदाबहार गीतों को वैश्विक मंचों पर गाकर तथा पहले क्लोजप अंताक्षरी विजेता बन कर ख्याति के शिखर पर विराजमान उत्तराखंड के रमेश नोटियाल के निर्देशन व प्रस्तुतिकरण मे 70- 80 के दशक में अपने फिल्मी गीतों के संगीत से लोगों को मदहोश कर देने वाले, विश्व के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों मे पहचानरत राहुल देव बर्मन ‘पंचम दा’ के सदाबहार गीतों की संगीत यात्रा का प्रभावशाली आयोजन ‘हारमनी’ द्वारा 7 अप्रेल की सांय मंडीहाउस स्थित श्रोताओं से खचाखच भरे कमानी सभागार मे आयोजित किया गया।

फिल्मी गीतों के शुभारंभ से पूर्व आयोजक ‘हारमनी’ सदस्यों द्वारा दर्शक दीर्घा मे विराजमान स्व.पंचम दा के भतीजे राहुल देव बर्मन, विश्व ब्राह्मण सभा अध्यक्ष के सी पांडे, समाज सेवी व उद्योग जगत से जुडे जी एस रावत, सखा ग्रुप अध्यक्ष अमर जीत सिंह कोहली, संगम कला ग्रुप अध्यक्ष बी एस के सूद को पुष्पगुच्छ भैंट कर स्वागत अभिनंदन किया गया।

‘पंचम दा’ को समर्पित हिंदी फिल्मों के सदाबहार गीतों की सांझ का शुभारंभ साहिर लुधियानवी के समूह प्रार्थना गीत-
तेरी है जमी तेरा आसमा….।
से किया गया। तत्पश्चात सरहद के प्रहरियों के लिए गुलजार का कलाम संगीत की धुन मे प्रस्तुत किया गया।

दिलो पर सदा राज करने वाले फिल्मी गीत प्रस्तुत करने वाले गायको मे मनोहर पोखरियाल, 2007-2008 ‘सारेगामा’ फिल्म गीत गायन विजेता गायिका वसुंधरा रतूडी, पुष्कर कांडपाल, डाॅ नुपुर सिंह, पवन त्यागी, राखी उपाध्याय, रियो नोटियाल, ऐश्वर्या थपलियाल, संजीव शुक्ला, पुरवी नेगी, सुभाशीष मुखर्जी, मनोहर पोखरिया तथा वैशाली पाल द्वारा गाए गए फिल्मी गीतों मे-
मुसाफिर हूं यारो…।
आज कल पाव जमी पर नहीं पड़ते मेरे…।
जाने मन जाने जा तुमने हमे देखा होकर मदहोश…।
तेरे बिना जिया जाए ना…।
कही करती होगी वो मेरा इंतजार…।
दिलवर दिल से प्य्यारे…।
आयो कहा से घनश्याम…।
आओ ना गले लग जाओ ना…।
चेहरा है या चांद खिला…।
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं…।
ओ मेरी सोना रे सोना…।
मुख्य रहे।

पुष्कर कांडपाल व डाॅ नूपुर सिंह द्वारा युगल गीत-
ओ हसीना जुल्फो वाली…।
का मन भावन गायन किया गया।

फिल्मी गीतों के आयोजन प्रमुख, निर्देशक व मुख्य गायक रमेश नोटियाल का मंच पर कौतूहल भरा प्रभावशाली प्रवेश फिल्म कटी पतंग के सदा बहार गीत-
ये जो मोहब्बत है ये उनका है काम…।
से हुआ।

रमेश नोटियाल द्वारा गाऐ गऐ अन्य गीतों मे-
चला जाता हूं किसी की धुन मे…।
आने वाला दिन…।
लेकर हम दीवाना दिल…।
जहा ये तेरी नजर है…।
प्रमुख तौर पर प्रभावशाली अंदाज मे गाए गए।

आयोजित कार्यक्रम मे गायक-गायिकाओ वैशाली पाल, ऐश्वर्या थपलियाल, रियो नोटियाल (पुत्र रमेश नोटियाल), पुरवी नेगी, संजीव शुक्ला इत्यादि के साथ रमेश नोटियाल द्वारा प्रस्तुत युगल फिल्मी गीतों मे-
हम दोनों दो प्रेमी दुनिया छोड़ चले…।
चुरा लिया है तुमने जो दिल को…।
एक चतुर नार करके श्रृंगार…।
जाने जा ढूढ़ता फिर रहा…।
प्यार तुम्हे किस मोड़ पर ले आया…।
मुख्य रहे।

गायक-गायिकाओ द्वारा तीन घन्टे तक प्रस्तुत गीतों मे विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्रों मे सतीश पोपली के सानिध्य मे संगत दे रहे संगीतज्ञो मे मनमोहन घई (लीड गिटार), मनोज (बेस गिटार), गणेश (की बोर्ड), अदनान (की बोर्ड), अशोक शर्मा (बांसुरी और सेक्सो फोन), रवि (की बोर्ड), विनोद (तबला, ढोलक बैंगो) संजय (ढोलक और कोंगो), सुनील (आक्टो पैड), श्यामी (तुम्बा) व प्रवीण कपूर (ड्रम) के मध्य संगीत की धुनों के वादन व प्रस्तुतिकरण मे प्रभावशाली तालमेल देखा गया जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। फिल्मी सदाबहार गीतो के इस आयोजन को यादगार बनाया।

फिल्मी सदाबहार गीतो के इस आयोजन का मनोरंजन से भरपूर मंच संचालन अनेको राष्ट्रीय आयोजनों का संचालन कर चुके सु-विख्यात एंकर आई पी एस बावा द्वारा किया गया।

आयोजन प्रमुख व ख्यातिरत गायक रमेश नोटियाल ने एक भैट मे अवगत कराया, 1992 मे उनका तबादला दिल्ली से मुंबई हो गया था। उनका घर 1983, 1984 व 1995 मे फिल्मफेयर खिताब से नवाजे गए व एक के बाद एक फिल्मी हिट गाने देने वाले ‘पंचम दा’ के घर के आसपास ही था। उनसे मिलने के लिए बहुत संघर्ष किया। जब मुलाकात हुई तो ‘पंचम दा’ से पारिवारिक सम्बंध बन गए थे। तब वे बीमार रहते थे। उनका सानिध्य मिला। मेरा सम्बंध उनसे व्यक्तिगत रहा। उनका आशीर्वाद मिला। ‘पंचम दा’ से व्यक्तिगत सम्बंध ही वह कारण रहा है, वे विगत आठ वर्ष से ‘पंचम दा’ की संगीतमय यात्रा से जुडा एक शो, जो वे वर्ष भर कमाते हैं, उस बचत से आयोजित करते हैं, ‘पंचम दा’ से मिले आशीर्वाद व प्रेरणा से। अवगत कराया गया, विगत दो वर्ष करोना विषाणु महामारी के कारण यह आयोजन नहीं कर पाए। इस वर्ष यह छठा आयोजन है।

दिल्ली सेंट जीबीएसएस से हाई स्कूल व स्नातक प्रख्यात गायक रमेश नोटियाल मूल रूप से उत्तराखंड गढ़वाल अंचल के निवासी हैं। संगीत का ज्ञान उन्हे अपने पिता स्व.डी आर नोटियाल से मिला। स्कूली जीवन से ही संगीत विधा मे रमने की इच्छा रमेश नोटियाल की रही। जिसमे प्रवीण होकर आज वे फिल्मी गीतों के गायन में राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित कर रहे हैं।
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