धामी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज

0
1586

धामी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज

कैलाश जोशी (अकेला)

देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब से कमान संभाली है, तब से ही कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं हो रही हैं। सीएम धामी जब-जब भी दिल्ली जाते हैं, तब-तब इस तरह की अटकलें लगनी शुरू हो जाती हैं। लेकिन, आज तक कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया। इतना ही नहीं, भाजपा कार्यकर्ता लंबे समय से दायित्वों का भी इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली दौड़ के बीच आस लगाए बैठे नेताओं की ब्लड प्रेशर बढ़ता है और जैसे ही सीएम बगैर किसी फैसले के वापस लौटते हैं, उनका ब्लड प्रेशर फिर से सामान्य हो जाता है।

अब एक बार फिर से कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं और अटकलें शुरू हो गई हैं। इस बार परिस्थितियां पहले से बदली हुई हैं। जहां पहले तीन पद खाली थे। वहीं, अब कैबिनेट में दिवंगत चंदन रामदास के निधन के बाद इनकी संख्या चार हो गई है। कुलमिलाकर अगर कैबिनेट विस्तार होता है, तो चार विधायकों का मंत्री बनना तय है। हालांकि, चर्चा यह भी है कि मंत्री चार नहीं पांच बनेंगे। अब ये पांचवां कौन होगा, इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

फिलहाल मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत अभी सिर्फ छह जिलों का ही प्रतिनिधित्व है। यहां तक की हरिद्वार और नैनीताल जैसे महत्वपूर्ण और बड़े जिले भी खाली चल रहे हैं। चंदन रामदास के निधन के बाद से कुमाऊं मंडल से दो ही मंत्री मंत्रिमंडल में हैं।

कैबिनेट में वर्तमान में टिहरी, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, पौड़ी और चंपावत जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है। हरिद्वार, नैनीताल, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ को अब तक मौका नहीं मिला है। जहां तक उत्तरकाशी की बात है, तो आज तक कभी किसी विधायक को कैबिनेट में मौका नहीं दिया गया है।

चार खाली मंत्री पदों के अलावा जिस पांचवें पद की बात हो रही है। वह कोई और नहीं, बल्कि कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल हैं। अग्रवाल विधानसभा में बैकडोर भर्ती को लेकर पहले से ही विवादों में थे। इस बीच ऋषिकेश में उनका मारपीट का वायरल वीडियो भी सामने आया था। तब से ही इस बात की चर्चा है कि उनको कैबिनेट से हटा दिया जाएगा और उनकी जगह मदन कौशिक को मंत्री बनाया जा सकता है।

हालांकि, यह अभी केवल चर्चाएं हैं, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा इस संकट को दूर करना चाहेगी। भाजपा की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधने पर है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं सही साबित हो सकती हैं। लेकिन, देखना यह होगा कि इसमें और कितना वक्त लगता है।