अजेंद्र अजय की सियासत को खत्म करने के लिए रची गई ‘सोना कहानी’.!

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कैलाश जोशी (अकेला)

केदारनाथ सोना विवाद का असली सच आया सामने.!

अजेंद्र अजय की सियासत को खत्म करने के लिए रची गई ‘सोना कहानी’.!

केदारनाथ धाम के बहुचर्चित सोना प्रकरण की गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय की जांच रिपोर्ट आखिरकार सामने आ गई — वो भी RTI के ज़रिए, न कि सरकार की मर्जी से! रिपोर्ट में साफ लिखा है — न मंदिर समिति ने सोना खरीदा, न लगाया। उन्होंने तो सिर्फ शासन के निर्देशों का पालन किया।

यानि जिस “घोटाले” की गूंज सालभर तक मचाई गई, उसकी बुनियाद ही खोखली निकली।

अब बड़ा सवाल — अगर रिपोर्ट एक साल पहले तैयार थी, तो इसे दबाया क्यों गया?
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बार-बार रिपोर्ट जारी करने का वादा किया, लेकिन सच्चाई जनता तक RTI के रास्ते पहुँची। पारदर्शिता के दावे फिर झूठे साबित हुए।

बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय के कार्यकाल में पहली बार ट्रांसफर नीति, सेवा नियमावली और वित्त अधिकारी की नियुक्ति जैसे ऐतिहासिक सुधार हुए।
लेकिन ईमानदार चेहरे सिस्टम में कब टिक पाए हैं?
अजेंद्र की साफ छवि कुछ “संगठित गिरोहों” को रास नहीं आई— सोने की कहानी रची गई, ताकि उनकी साख को मिट्टी में मिलाया जा सके।

अब कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल जांच रिपोर्ट को नकार रहे हैं, कहते हैं “यह सरकार बचाने के लिए हुई।”
सवाल ये है — अगर आपके पास तथ्य हैं, तो अदालत जाएं, सोशल मीडिया की अदालत क्यों लगाते हैं.?

असल मुद्दा सोना नहीं, सियासत है। केदारनाथ की पवित्रता बार-बार राजनीतिक चालों में घसीटी जा रही है।
जनता अब भावनाओं से नहीं, तथ्यों से इंसाफ चाहती है।केदारनाथ में श्रद्धा का उजाला कायम रहे सियासत की परछाई नहीं।

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