लखनऊ में तीन दिवसीय ‘निर्जलित पुष्प शिल्प’ प्रशिक्षण सम्पन्न – जलागम निदेशालय देहरादून की सक्रिय सहभागिता

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रेज़िन आर्ट से आत्मनिर्भरता की राह – पुष्प शिल्प प्रशिक्षण ने खोले आजीविका के नए द्वार

निर्जलित फूलों से रोजगार की संभावनाएँ – एनबीआरआई लखनऊ में उन्नत प्रशिक्षण सम्पन्न

महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार का नया आयाम – पुष्प शिल्प तकनीक में उत्तराखंड की भागीदारी

आजीविका संवर्धन की ओर कदम – लखनऊ में तीन दिवसीय पुष्प शिल्प प्रशिक्षण का समापन

औषधीय पौधों की यात्रा से लेकर रेज़िन आर्ट तक – पुष्प शिल्प प्रशिक्षण बना आत्मनिर्भरता की प्रेरणा

निर्जलित पुष्प शिल्प से स्वरोजगार के अवसर – देहरादून की ग्रीन-एजी टीम की उल्लेखनीय सहभागिता

राष्ट्रीय वनस्यति अनुसंधान संस्थान (NBRI), लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय “निर्जलित पुष्प शिल्प पर उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन राष्ट्रीय बनस्पति उद्यान, लखनऊ में हुआ। इस प्रशिक्षण में उत्तराखंड से जलागम प्रबंधन निदेशालय, देहरादून की ग्रीन एजी परियोजना टीम ने सक्रिय रूप से सहभागिता की।

पहले दिन प्रशिक्षणार्थियों को निर्जलित फूलों के संरक्षण और उनके माध्यम से आकर्षक उत्पाद तैयार करने की तकनीक से अवगत कराया गया। विशेषज्ञों ने समझाया कि किस प्रकार फूलों की गुणवत्ता बनाए रखते हुए उन्हें दीर्घकालीन उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे स्वरोजगार के नए अवसर खुलते हैं।

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय निर्जलित पुष्प शिल्प पर उन्नत प्रशिक्षण के दूसरे दिन 30 सितम्बर 2025 को प्रशिक्षणार्थियों को रेज़िन आर्ट तकनीक की विस्तृत जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार रेज़िन का प्रयोग कर फूलों को संरक्षित करते हुए आकर्षक सजावटी सामग्री, प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर ज्वेलरी, इयररिंग्स तथा अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। यह तकनीक महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर खोलती है।

दूसरे दिन का एक विशेष आकर्षण था केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौथा संस्थान (CIMAP) लखनऊ की शैक्षणिक यात्रा, जहां प्रशिक्षार्थियों को सैकड़ों औषधीय और सुगंधित पौधों की प्रजातियों का परिचय कराया गया। इसमें गुलाब की विविध प्रजातियाँ, लेमन ग्रास, तुलसी, शतावर, सफेद मूसली, पामारोज़ा, सिट्रोनेला, जिरेनियम, मॅथा, दमास्क गुलाब, स्टीविया और कई अन्य पौधे शामिल थे। सीमैप संवाद हॉल में डॉ. आर. के. श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को इन प्रजातियों की कृषि तकनीक और उनके औद्योगिक व स्वास्थ्य संबंधी महत्व के बारे में विस्तार से बताया।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण का सफल समापन प्रमाणपत्र वितरण और भविष्य की संभावनाएँ

राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान, लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय उच्चत प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन 1 अक्टूबर 2025 को उत्साहपूर्ण ढंग से हुआ। अंतिम दिन प्रशिक्षणार्थियों को NBRI परिसर के विभिन्न विशेष गृहों जैसे साइकस गृह, कैक्टाई एवं सुकुलेंट गृह, बोन्साई गृह और संरक्षणशाला का भ्रमण कराया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने अनेक दुर्लभ पौध प्रजातियों को करीब से देखा और उनके संरक्षण की तकनीकों को समझा।

व्यावहारिक सत्र में प्रशिक्षार्थियों ने निर्जलित फूलों से लैंडस्केप चित्र और 3D उत्पाद (निम्फिया ग्लास कंटेनर में संरक्षण) तैयार करने का अभ्यास किया, जो इस प्रशिक्षण की खास उपलब्धि रही। इससे प्रतिभागियों ने सीखा कि कला और वैज्ञानिक तकनीक को मिलाकर आकर्षक व बाजारोन्मुख उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं।

प्रशिक्षण का औपचारिक समापन CSIR-NBRI के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी की उपस्थिति में हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. के. जे. सिंह, डॉ. श्वेता सिंह और डॉ. अतुल बत्रा के निर्देशन में किया गया। समापन सत्र के दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

प्रमाणपत्र प्राप्त करने वालों में जलागम प्रबंधन निदेशालय, देहरादून से श्री उपेंद्र रावत (बायोडायवर्सिटी विशेषज्ञ), सुश्री गीता रावत (जेंडर एवं सौशल एक्सपर्ट), श्री रजनीश सिंह (उन्नतिशील कृषक, पौडी), मसूरी वन प्रभाग से श्री आनंद सिंह रावत (वन दरोगा), श्री विवेक डोभाल (वन आरक्षी), डॉ. ज्योति मारवा (हिम सुरभि एरोमा म्यूजियम, मसूरी), सुश्री सविता रमोला (सामाजिक कार्यकर्ता, नैनबाग सेंदुल) सहित अन्य प्रतिभागी अभिलाषा श्रीवास्तव, नीलम, डॉ. विनोद सिंह यादव, डॉ. दीक्षा गौतम आदि शामिल रहे।

 

जलागग प्रबंधन निदेशालय की ग्रीन एजी परियोजना टीग ने इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण को आजीविका संवर्धन और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल बताया और विश्वास व्यक्त किया कि इस तकनीक को उत्तराखंड में व्यापक स्तर पर अपनाकर ग्रामीण समुदाय, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोले जा सकते हैं।

Three day training workshop program on dehydrated flower craft offered by the National Botanical Research Institute, Lucknow concluded at National Botanical Garden, Lucknow,

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