यूके में तबाही का खतराः कोरोना के भारतीय वेरिएंट ब्रिटेन से 50 फीसदी तक ज्यादा संक्रामक

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A quarantine worker sprays disinfectants on an ambulance worker of the 119 rescue team, who went on his duty amid the rise in confirmed cases of coronavirus disease (COVID-19) in Daegu, South Korea, March 14, 2020. REUTERS/Kim Kyung-Hoon

नई दिल्ली। कोरोना के भारतीय वैरिएंट बी. 1. 617-2 ने ब्रिटेन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। ब्रिटेन में इस वैरिएंट की संक्रामकता को लेकर जो मॉडलिंग की गई है, उससे पता चलता है कि यह यूके वेरिएंट बी. 1.1. 7 से 40-50 फीसदी ज्यादा संक्रामक हो सकता है। आशंका जताई गई है कि इससे ब्रिटेन में इस साल जनवरी से भी कहीं ज्यादा बेकाबू हालात पैदा हो सकते हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, भारतीय प्रकार के इस बदले स्वरूप को कई नजरिये से घातक माना जा रहा है। यह यूके वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है। यूके वैरिएंट कोविड-19 के पूर्व में फैले प्रकार से 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक पाया गया था। अब इंडियन डबल म्यूटेशन वैरिएंट को यूके वैरिएंट से 40-50 गुना और ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है, हालांकि इस पर अभी भी अध्ययन जारी हैं। इस प्रकार पिछले साल फैले कोरोना वायरस की तुलना में नया प्रकार 110-120 गुना तक ज्यादा संक्रामक है। यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट एंड्रयूज के स्कूल ऑफ माइक्रोबॉयोलाजी एंड न्यूरोसाइंसेज के शोधकर्ता स्टीफेन रेशर ने लिखा है कि चिंता सिर्फ इस वैरिएंट के संक्रामक होने को लेकर नहीं है। बल्कि पूर्ण टीकाकरण करा चुके लोगों को भी संक्रमित कर रहा है। इससे संक्रमित लोगों में बीमारी गंभीर रूप धारण कर रही है तथा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते सप्ताह इस प्रकार के मामलों में करीब तीन गुना की वृद्धि देखी गई है। संक्रमण के मामले एक सप्ताह में 520 से बढ़कर 1313 तक पहुंच गए हैं। बता दें कि बी. 1.617 के मामले देश में पिछले साल के आखिर में आए थे। इसके बाद अप्रैल में इसका प्रसार देश के कई हिस्सों में देखा गया। यूके वैरिएंट के बाद देश में इसका सर्वाधिक फैलाव था। लेकिन इधर, इसमें एक और बदलाव नोट किया गया है तथा इंडियन वैरिएंट का नया स्वरूप बी.1. 617-2 पाया गया। भारत के साथ-साथ ब्रिटेन में भी इंडियन वेरिएंट का यह दूसरा प्रकार मिला है। वैसे इंडियन वैरिएंट के मामले दुनिया के 40 से भी अधिक देशों में मिल चुके हैं।