संगीत नाटक अकादमी द्वारा देश के अपरिचित, प्रतिभावान कलाकारों के लिए आयोजित ‘ज्योतिर्गमय’ समारोह सम्पन्न

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संगीत नाटक अकादमी द्वारा देश के अपरिचित, प्रतिभावान कलाकारों के लिए आयोजित ‘ज्योतिर्गमय’ समारोह सम्पन्न
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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। ‘विश्व संगीत दिवस’ की चालीसवीं वर्षगांठ तथा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर, संगीत नाटक अकादमी, भारत सरकार द्वारा, नई दिल्ली, मंडी हाउस स्थित, रवीन्द्र भवन के मेघदूत सभागार, ललित कला अकादमी की आर्ट गैलरी तथा कमानी सभागार मे 21 से 25 जून तक देश भर के ऐसे अपरिचित, प्रतिभावान कलाकारों, जिन्होंने गीत-संगीत वादन, दुर्लभ वाद्ययंत्र निर्माण, मुखोटा तथा कठपुतली कार्य मे अतुलनीय योगदान दिया है, आमन्त्रित कर, संगीत वाद्ययंत्र निर्माण प्रदर्शनी, गीत-संगीत वादन तथा कार्यशालाओ का भव्य आयोजन ‘ज्योतिर्गमय’ समारोह के अंर्तगत, आयोजित किया गया।

आयोजित समारोह ‘ज्योतिर्गमय’ का श्रीगणेश, 21 जून को, केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी द्वारा, कमानी सभागार मे दीप प्रज्ज्वलित कर तथा 25 जून को कमानी सभागार मे ही, मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति व विदेश राज्यमंत्री, मीनाक्षी लेखी तथा संस्कृति व संसदीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में पांच दिनों तक चले ‘ज्योतिर्गमय’ आयोजन की अंतिम संध्या व समापन समारोह पर, ग्वालियर व पटियाला घराने से संगीत व वाद्ययंत्र विधा में निपुण, 1918 मे संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजे गए, सोमदत्त बट्ट व उनके साथी कलाकारों द्वारा हिमाचल प्रदेश के दुर्लभ गीत। मिलिंद तुलनकर द्वारा, जल तरंग वाद्ययंत्र प्रस्तुति। अब्दुल हमीद भट्ट द्वारा अपने साथियो की संगत में, रबाब वादन। उमा शंकर शर्मा मनोहर द्वारा, मणीपुर का आनुष्ठानिक भजन तथा बस्तर के चिन्हारी जन शिक्षा एव संस्कृति समिति द्वारा, बस्तर जन जाति के दुर्लभ वाद्ययंत्र संगीत का प्रभावशाली मंचन किया गया। उक्त प्रस्तुतियों मे कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गई, विभिन्न राज्यो के अंचलों के लुप्त होते वाद्ययंत्रों, लोकधुनो व गीतो का यादगार मंचन, सराहनीय व अकादमी की पहल को, सराहा जा सकता है।

समारोह की अंतिम संध्या पर, संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा उमा नंदूरी तथा सचिव अनीश पी राजन द्वारा, उपस्थिति केन्द्रीय मंत्रियों व सभागार मे बैठे सभी प्रबुद्ध जनों व कलाकारों का आयोजन को सफल बनाने हेतु दिए गए योगदान पर, आभार व्यक्त कर, अवगत कराया गया, आयोजित समारोह में 75 विविध विधाओ के उन अनजाने व अनसुने 350 नायको को आमन्त्रित किया गया था, जो देश के कोने-कोने से प्रतिभाग करने हेतु आए थे। आमन्त्रित इन कलाकारों का चयन, अकादमी निर्णायक मंडल द्वारा किया गया था। जिनके करीब दो सौ दुर्लभ वाद्ययंत्रों को दुनिया के सामने लाने व उन्हें संरक्षित करने की यह एक पहल थी।

आयोजन की अंतिम संध्या पर, केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा, पहली बार प्रभावशाली अंदाज मे, कबीर गायन, राजस्थान, विकानेर के ओमप्रकाश नायक व उनके साथियों की संगत मे, संतुर बजा कर व कबीर, मीरा, नानक व सूरदास के सु-प्रसिद्ध दोहे मधुर कंठ से तालियों की गडगड़ाहट के मध्य गाकर, प्रभावशाली अमिट छाप छोडी। राजस्थानी गायक कलाकारों के जुगल बंदी गीतों मे भी, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा संगत की गई।

केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा प्रस्तुत कबीर गायन की प्रस्तुति मे, व्यक्त किया गया, एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में बैठा, एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा। व्यक्त किया गया, कहा जाता है, कबीर निर्गुण भक्त थे। कबीर ने कभी राम का नाम लिया ही नहीं। कबीर को दूसरी दिशा में पेश किया गया। व्यक्त किया गया, कबीर के साहित्य को संकीर्णता मे मत देखो। कबीर ने राम की बात भी की और संस्कृति की भी। इसके बावजूद उन्हे, निर्गुण पंथी कहा जाता है। जबकि वे, भारतीय दर्शन के पूरोधा रहे हैं। व्यक्त किया गया, कबीर ने वाद्ययंत्र तंदुरे के पांच तारो को हमारे शरीर की, पांच इंद्रियों से जोडा है। कबीर भारतीय दर्शन का वह चेहरा रहे हैं, जिसे हमे समझना चाहिए। सभी भक्तो, कबीर, मीरा, नानक, सुरदास, रविदास को अलग-अलग रखा गया है, ये सभी संत थे, भारतीय संस्कृति के पुरोधा थे। संगीत के द्वारा ही भारतीय दर्शन को इन संतो ने आगे बढ़ाया।

अकादमी सचिव व अध्यक्षा द्वारा मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति व विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी व केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शाल ओढा कर, पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भैट कर, अकादमी की ओर से स्वागत, अभिनंदन किया गया, आभार व्यक्त किया गया।

समारोह मुख्य अतिथि, केन्द्रीय संस्कृति व विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा, इस अवसर पर व्यक्त किया गया, अमृतकाल आने वाले 25 वर्ष तक जागृत अवस्था मे रहे, यह संदेश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 12 मार्च 2022 को दिया गया था, अमृत महोत्सव मनाना है। उन लोगों की बात करनी है, जिन्हें कोई नही जानता है। संगीत नाटक अकादमी ने इस पर सराहनीय पहल की है। देखना है, पुराने वाद्ययंत्रों को बनाने व इन पर गाने का कितना प्रयास होता है। व्यक्त किया गया, भारत की पुरानी हास पर खडी परंपराओ को जानना जरूरी है।

मीनाक्षी लेखी द्वारा व्यक्त किया गया, हम विथोवन को जानते हैं, लेकिन भरत मुनि के नाट्य शास्त्र को नहीं जानते हैं, इस धरोहर को सुरक्षित रखना है। यह संदेश दुनिया को देने की जरूरत है। शोधार्थी, 200-400 वर्ष पूराने विषयों पर शोध कर रहे हैं, जबकि भारतीय संस्कृति हजारो साल पुरानी है। युवाओ का कर्तव्य है, संस्कृति को बचाये। व्यक्त किया गया, आयोजित कार्यक्रम से दुर्लभ वाद्ययंत्रों को एक नई पहचान मिल रही है। युवाओं का कर्तव्य बनता है, इन दुर्लभ वाद्ययंत्रों को संरक्षित करें, इनका संवर्धन करें। व्यक्त किया गया, हमारी संस्कृति मे भारतीय संगीत, जीवन के हर पहलू मे शामिल है। लोकसंगीत और इन कलाकारों को वाद्ययंत्रों का संरक्षण, सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत की धरोहरों को लगातार संजोने का कार्य चल रहा है। सभी धरोहरों को आगे बढ़ाए। व्यक्त किया गया, ऐसी वाणी बोलिये… इन सबके द्वारा ऐसी वाणी बोलिये, जो सबको भाए। संगीत नाटक अकादमी का आभार व्यक्त कर, मुख्य अतिथि द्वारा संबोधन समाप्त किया गया।

पांच दिनों तक चले, इस समारोह मे, अकादमी द्वारा पहली बार, सड़कों व रेलगाड़ी मे संगीत वाद्ययंत्र बजा कर अपनी वाद्य व गायन विधा का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को भी, स-सम्मान आमन्त्रित किया गया था। उत्तराखंड की रामेश्वरी देवी द्वारा जागर का मचंन किया गया। साथ ही कमानी सभागार मे, पद्मश्री अनूप जलोटा, रवि पवार, पद्मश्री अनवर खान, मनीषा ए अग्रवाल, तथा पदमविभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट को आमन्त्रित कर संगीत संध्या का आयोजन किया गया था। अकादमी द्वारा, महाराष्ट्र व विकानेर से समारोह मे आमन्त्रित, बुजुर्ग वादको को मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी के कर कमलो सम्मानित किया गया।
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