उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती गांवों में देवगति फाल्गुन मेले की धूम

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उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती गांवों में देवगति फाल्गुन मेले की धूम

उत्तरकाशी: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है. ऐसे में यहां देवी-देवताओं के आह्वान के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. हर जगह, हर स्थान पर देवी-देवताओं को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसी ही मान्यता मोरी तहसील के सुदूरवर्ती क्षेत्र में भी है. यहां ग्रामीण देव डोली से जो भी मांगते हैं वो मनोकामना पूरी हो जाती है.

उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती मोरी तहसील के पर्वत और पंचगाई पट्टी के ग्रामीण कहते हैं कि वह अपने 22 गांव के आराध्य देव सोमेश्वर देवता की देवडोली से जो भी मांगते हैं वो सब उन्हें मिल जाता है. यही कारण है की समेश्वर देवता को यहां विशेष तौर पर पूजा जाता है. देव डोली के आशीर्वाद से बड़ी से बड़ी बीमारी, दुख सब ठीक हो जाते हैं.
Devgati Phalgun Fair organized in remote areas of Uttarkashi

 

मोरी तहसील के सुदूरवर्ती क्षेत्र का जीवन जहां आज भी विकट है, मगर इस विकटता के बाद भी ये इलाका आज भी सबसे समृद्ध और खूबसूरत है. मोरी के इस क्षेत्र की देव संस्कृति और परम्परा हर किसी को अपनी और आकर्षित करती है. इन दिनों मोरी तहसील के सुदूरवर्ती गांव जखोल, सुनकुंडी, धारा, तल्लापाऊं, उपलापाऊं, सिरगा, सौड़, सांकरी, सिदरी, कोटगांव आदि में क्षेत्र के आराध्य देव सोमेश्वर देवता का देवगति फाल्गुन मेला चल रहा है. इस मेले में भगवान सोमेश्वर क्षेत्र के 22 गांव में घूमकर ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं.

Devgati Phalgun Fair organized in remote areas of Uttarkashi

 

इन गांव के बुजुर्गों का कहना है कि भगवान सोमेश्वर के स्वागत में प्रत्येक गांव में एक दिवसीय दीपक दिया जाता है. यह मेला भगवान सोमेश्वर का शीतगद्दी मेला होता है. बुजुर्ग कहते हैं कि अगर उन्हें अच्छी खेती के लिए बारिश चाहिए होती है, तो भगवान बारिश करते हैं. जैसा जो मांगता है उसे वही मिलता है. साथ ही ग्रामीण अपने आराध्य देव के गांव पहुंचने पर देव डोली के साथ लोकनृत्य करते हैं. मोरी के इन गांवों में देवगति फाल्गुन मेला धूमधाम से मनाया जा रहा है