फर्जी वायरस वाला अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

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फर्जी वायरस वाला अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क के मास्टरमाइंड अर्जुन सिंह को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ और साइबर पुलिस की टेक्निकल टीम ने देर रात देहरादून के सहस्त्रधारा रोड आईटी पार्क से संचालित हो रहे AD Builders नाम के ऑफिस में छापेमारी कर भारत से संचालित हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है.

गिरोह का बड़ा सरगना अमेरिका में हो चुका है गिरफ्तार

STF के मुताबिक, इंटरनेशनल साइबर क्राइम में लिप्त इस गिरोह का भारत से संचालन देहरादून में आईटी पार्क में बैठा अर्जुन सिंह कर रहा था. जांच में पता चला कि अमेरिका में इस साइबर गिरोह का संचालन सरगना निपुण गंधोक करता था. हालांकि, उसे अमेरिकन ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन पुलिस द्वारा 2020 में गिरफ्तार किया जा चुका है. ऐसे में देहरादून सहित देशभर में साइबर क्राइम में लिप्त कॉल सेंटर को बंद कर वर्तमान समय में वर्चुअल नंबर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा था. गौर हो कि निपुण भोपाल का रहने वाला है और अमेरिका के टेक्सास में एक कॉलेज में पढ़ता था.

कंप्यूटर वायरस से सिस्टम को बचाने के नाम पर ठगी का खेल

एसटीएफ के मुताबिक, भारत से संचालित नेटवर्क से जो विदेशों में रह रहे हैं, खासकर अमेरिकन सिटीजन को विभिन्न तरह की सेवाएं देने और कंप्यूटर में फर्जी वायरस से सिस्टम को नुकसान से बचाने के नाम पर ठगा जा रहा था. गिरफ्तार अंतरराष्ट्रीय साइबर मास्टरमाइंड को देहरादून के आईटी पार्क ऑफिस (AD Builders) से करोड़ों की हेराफेरी का साइबर क्राइम के जरिए करने की प्रारंभिक जानकारी छापेमारी जांच में सामने आई है. गोपनीय सूचना के आधार पर एसटीएफ की एक पूरी टेक्निकल टीम पिछले 2 माह से इस गिरोह से संबंधित सूचनाओं और सुबूतों को एकत्र कर रही थी.

गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच शुरू
एसटीएफ टेक्निकल टीम ने इस गिरोह के पूरे भारत से संचालित होने वाले नेटवर्क, बैंक अकाउंट डिटेल, प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट और फर्जी दस्तावेज सहित तमाम डिजिटल साक्ष्य व सबूतों को एकत्र कर अपने कब्जे में लिया है. इतना ही नहीं, साइबर पुलिस इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े तमाम अन्य लोगों की जानकारी जुटाकर आगे की कार्रवाई कर रही है.

होता था करोड़ों का टांजेक्शन

आरोपी अर्जुन सिंह के 4 बैंक खाते हैं. एक खाते में 9.5 लाख, दूसरे में 4.5 लाख, तीसरे में 2.5 लाख रुपए और एक अन्य खाते से बीते साल में लगभग 3.50 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है. इसके साथ ही अर्जुन सिंह ने देहरादून में 52 लाख जमीन लेन-देन में निवेश किया है और एक 20 लाख का फ्लैट लिया है. गोपनीय जांच के आधार पर पता चला है कि अभियुक्त व उसके साथियों के अनुमानित 10 से 12 बैंक खाते हैं. अर्जुन का साथी दिलीप कुमार थुपेला (निवासी चंद्रबनी) अभी फरार है. अर्जुन ने दिलीप की मां और बहन के खाते में भी करीब 18 लाख रुपये भेजे हैं. यही नहीं, दिल्ली में भी एक व्यक्ति को अर्जुन ने 15 लाख चेक व 5 लाख कैश दिए हैं. एसटीफ अभी जांच कर रही है, जिसके बाद ये स्पष्ट हो पाएगा कि कुल कितने रुपयों का ट्रांजेक्शन हुआ है.

अपराध का तरीका
  • अभियुक्त द्वारा एक वर्चुअल नम्बर लिया गया है. ये नंबर Microsoft Support System के प्रतिनिधि के रूप में काम करने के लिये लिया गया था.
  • आरोपी अर्जुन सिंह का अमेरिका में रह रहा साथी निपुण गंधोक खुद को माइक्रोसाफ्ट कंपनी से संबंधित व्यक्ति बताकर वर्चुअल नंबर के माध्यम से विदेशी व्यक्तियों से सम्पर्क कर उनके कम्पयूटर से वायरस हटाने की बात कहकर धोखाधड़ी करता था.
  • इस काम के लिये जो पैसा निपुन के पास आता था, उसमें अर्जुन का हिस्सा विदेश से भेजता था. कुछ समय बाद अमेरिका की पुलिस ने निपुन को गिरफ्तार कर लिया.
  • उसके बाद अर्जुन ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ये काम करना शुरू कर दिया.
  • अर्जुन के ये साथी उसे अमेरिकन कस्टमर्स के नम्बर भेजते थे, जिनसे अर्जुन अपने लैपटाप में साफ्टवेयर के माध्यम से डील करता था. उनसे विभिन्न कम्पनियों जैसे- एचपी, डेल, कैनन, लैक्समार्क के टेक्निशियन के नाम से सर्विस प्रोवाइडर के रूप में पैसे प्राप्त करता था.
  • अर्जुन का एक अन्य साथी, जो कोलकाता का रहने वाला था, उसे गेटवे के माध्यम से सम्बन्धित कस्टमर से धनराशि प्राप्त करता था.
  • अभियुक्त और उसके साथियों के बीच सारा लेनदेन अर्जुन के खाते के माध्यम से होता था, जिसमें किसी एक कस्टमर से प्राप्त की गई धनराशि का कुछ प्रतिशत हिस्सा कोलकाता के साथी को जाता था व 1300 रुपये प्रति कस्टमर के काॅल प्रोवाइडर के रूप में उस साथी को जाता है जिसने अभियुक्त को उस कस्टमर का काॅल फारवर्ड किया हो.

अंतरराष्ट्रीय एजेंसी और एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से संपर्क में जुटी STF
उत्तराखंड STF के मुताबिक, अमेरिकन सिटीजन सहित अन्य विदेशी नागरिकों को साइबर ठगी का शिकार बनाने वाले मास्टरमाइंड अर्जुन सिंह से पूछताछ में पता चला कि इसके द्वारा देहरादून के आईटी पार्क में एडी बिल्डर्स नाम से प्रॉपर्टी का ऑफिस खोला गया. इसी ऑफिस की आड़ में अमेरिका में रह रहे नागरिकों को कंप्यूटर की विभिन्न सर्विस देने के नाम पर साइबर ठगी का खेल चल रहा था. ऐसे में अब उत्तराखंड STF टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करोड़ों का साइबर क्राइम करने वाले मास्टरमाइंड का रैकेट पूरे भारत में संचालन होने और बैंक अकाउंट डिटेल, प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट और कई तरह के महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र कर इंटरनेशनल एजेंसियों व इंफोर्समेंट डायरेक्टर से संपर्क साधकर सुबूत वाले दस्तावेज साझा करने जा रही है.

एसटीएफ की अपील

प्रभारी स्पेशल टास्क फोर्स अजय सिंह द्वारा बताया गया कि एसटीएफ ने जनवरी में भी एक फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा था और लगातार इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर्स पर कार्रवाई की जा रही है. एसटीएफ ने जनता से अपील की है कि आजकल साइबर अपराधी फर्जी कस्टमर केयर बनकर लोगों का विश्वास जीतने का प्रयास करते हैं और उसके बाद उनके साथ ठगी करते हैं. किसी भी कस्टमर केयर का नंबर आप उसके अधिकृत या पंजीकृत वेबसाइट या स्वयं उसके ऑफिस में जाकर प्राप्त करें, सर्च साइटों पर न खोजें.