उत्तराखंड का ट्यूलिप गार्डन ने बटोरी वाहवाही था।

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उत्तराखंड का ट्यूलिप गार्डन ने बटोरी वाहवाही था।

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

 

उत्तराखण्ड सरकार की महत्वपूर्ण योजना 13 जिले 13 नए डेस्टिनेशन के तहत एक महत्वपूर्ण कदम पिथौरागढ जिले में लिया गया. जिले के चंडाक क्षेत्र में नीदरलैंड से आयातित 25 हजार ट्यूलिप के बीजों का प्लांटेशन किया गया. इसी साल मार्च के महीने तक फूलों के खिलने की उम्मीद भी की जा रही है. 50 हैक्टेयर में फैला यह ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बताया जा रहा है. देश में अब तक का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन जम्मू कश्मीर में है. जम्मू-कश्मीर का यह ट्यूलिप गार्डन 1 हैक्टेयर में फैला है. दुनिया में ट्यूलिप की 4000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. ठंडे स्थानों में उगने वाले इस फूल का मूल स्थान टर्की माना जाता है. ईरानी भाषा के शब्द ट्यूलिप का अर्थ पगड़ी से होता है. 1500 मीटर से 2500 मीटर तक की ऊँचाई में उगने वाले इस फूल का वानस्पतिक नाम लिलिससई है. 13 जिले 13 नए डेस्टिनेशन को धरातल पर उतारने की कड़ी में राज्य के पिथौरागढ़ जिले में एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन का सपना है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लोग इस बार ट्यूलिप नहीं देख पाएंगे। वन विभाग टूरिस्ट डेस्टिनेशन मोस्टामानू में ट्यूलिप गार्डन के लिए बल्ब का ही इंतजाम नहीं कर सका। ट्यूलिप गार्डन को लेकर अब भूमि का पेंच भी खड़ा हो गया है।पिछली सरकार में जिला मुख्यालय से सात किमी.दूर मोस्टामानू को टूरिस्ट डेस्टिनेशन घोषित किया गया था। इसी स्थान पर ट्यूलिप गार्डन भी बनाया गया है। पिछले वर्ष यहां हालैंड से ट्यूलिप बल्ब मंगाए गए थे, मोस्टामानू में ट्यृलिप तैयार करने का प्रयोग सफल रहा। लोगों को उम्मीद थी इस बार भी वे जम्मू कश्मीर की तरह पिथौरागढ़ में भी ट्यूलिप देख सकेंगे। वन विभाग ने ट्यूलिप बल्ब के दो बार निविदाएं आमंत्रित की, लेकिन बल्ब की आपूर्ति में किसी ने भी रुचि नहीं दिखाई। ट्यूलिप गार्डन के लिए चयनित जगह इस बार सूखी ही रही है। ट्यूलिप बल्ब के साथ ही चयनित जगह के स्वामित्व का भी पेच अब फंसने लगा है। यह जगह वन पंचायत की है और इसमें गार्डन तैयार का दायित्व वन विभाग संभाल रहा है। भूमि वन विभाग के नाम नहीं है। फूलों से संबंधित कार्य वन विभाग के कार्य क्षेत्र में नहीं आता है। इस कार्य का दायित्व उद्यान विभाग को दिया जाना चाहिए, लेकिन फिलहाल इसमें उद्यान विभाग की कोई भूमिका नहीं रखी गई है। वन विभाग को भूमि हस्तांतरण केंद्र सरकार के माध्यम से ही हो सकता है, इस लंबी प्रक्रिया में समय लगेगा। इन स्थितियों में इस वर्ष तो ट्यूलिप के फूल स्थानीय लोग नहीं देख पाएंगे।ट्यूलिप गार्डन की भूमि वन पंचायत की है। वन विभाग ने पिछले वर्ष इसमें सिर्फ प्रयोग किया था जो सफल रहा। इस वर्ष ट्यूलिप का सीजन निकल चुका है। अगले वर्ष शासन से मिले निर्देशों के अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी इन कार्यों को धरातल पर उतारने में नौकरशाही महत्वपूर्ण कड़ी है। ऐसे में इस पर नियंत्रण रखते हुए विकास कार्यों को आगे बढ़ाना नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी।