उत्तराखंड के इस पुल से चीन को मिलेगी चुनौती

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उत्तराखंड के इस पुल से चीन को मिलेगी चुनौती

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

चीन की विस्तारवादी नीति के लिए पिथौरागढ़ में लगती सीमा को भारत निरंतर मजबूत करता आ रहा है। लिपूलेख तक आलवेदर रोड करीब करीब तैयार होने को है। वहीं अब इस पुल के बनने के बाद सैन्य साजो सामान चीन-नेपाल बार्डर तक ले जाना संभव होगा। इसके अलावा चीन ने काफी हद तक भारत-नेपाल रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश करता रहता है। अब इस पुल के बन जाने से सीधे नेपाल व पिथौरागढ़ से रोड से जुड़ाव हो जाएगा। इससे भारत-नेपाल के रिश्तों में मजबूती आएगी साथ ही पिथौरागढ़ को भी आर्थिक, सामाजिक गतिविधियां बढ़ने का फायदा मिलेगा। पिथौरागढ़ के धारचूला तहसील में काली नदी पर पुल निर्माण की स्वीकृति देकर सीमांत को सामरिक, सांस्कृतिक आर्थिक रूप से और मजबूत कर दिया है। इसी के साथ यह नेपाल से जुडऩे वाला प्रदेश का दूसरा मोटर पुल होगा। ऐसे में यहां से नेपाल तक वाहनों की आवाजाही हो सकेगी।अभी तक पिथौरागढ़ से नेपाल के लिए आवाजाही सात झूला पुलों से होती है। यहां से प्रतिदिन चार से पांच हजार लोग आवाजाही करते हैं। वैसे भी यह सीमा अंतरराष्ट्रीय रूप से अतिमहत्वपूर्ण है। यहां एक साथ भारत, नेपाल और चीन की सीमाएं मिलती हैं। ऐसे में चीन से लगातार तनातनी में उसे चुनौती और नेपाल से रिश्तों को बेहतर बनाने में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार धारचूला के छारछुम में पुल निर्माण होना है। पहले इसका निर्माण झूलाघाट में होना था। लेकिन पंचेश्वर बांध डूब क्षेत्र होने से इसके लिए बुलवाकोट से धारचूला के मध्य छारछुम का चयन किया गया। दोनों देशों की सरकारों ने इसपर सहमति जताई। भारत में लोक निर्माण विभाग को पुल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 110 मीटर लंबे मोटर पुल की लागत 4887. 26 लाख रुपये तय की गई है। कार्यदायी विभाग प्रांतीय खंड लोनिवि अस्कोट के अनुसार पुल की डिजाइन के लिए आइआइटी दिल्ली के इंजीनियरों ने स्थलीय निरीक्षण किया है। डीपीआर स्वीकृति के लिए आइआइटी दिल्ली में ही भेजा गया है।लोनिवि अस्कोट के अधिशासी अभियंता ने बताया कि मोटर पुल निर्माण के लिए सभी तैयारी पूरी है। शासनादेश प्राप्त होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा। निर्धारित समय पर मोटर पुल तैयार होगा। इस दौरान उन्होंने कहा इन पुलों के निर्माण से सीमांत के लोगों की आवाजाही आसान होगी। साथ ही देश की चीन सीमा तक पकड़ मजबूत होगी। कहा बीआरओ ने दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों में कड़ी मेहनत कर इन पुलों के निर्माण का सराहनीय कार्य किया है। शुभारंभ कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी भी वर्चुअली जुड़े।उन्होंने कहा बीआरओ की निर्मित सङकें और पुल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्म निर्भर भारत के विजन को पूरा कर रहे हैं। कहा सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को इसका लाभ मिलेगा। कर्नल ने कहा दोनों पुल बनने से इस मार्ग में आवाजाही तो सामान्य हुई है साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बीआरओ की सड़कें, टनल और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े लोग दिल के पास तो हैं ही, अब दिल्ली के पास भी हैं। कहा केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखा है। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर और उसके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन आदि के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। सीमांत में पुलों के निर्माण से उच्च हिमालयी माइग्रेशन गांवों की हजारों की आबादी को लाभ मिलेगा। इससे आदि कैलास, ओम पर्वत के साथ मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की आवाजाही भी सुगम होगी। मुनस्यारी जौलजीबी सड़क पर गोरी गाड़ में बनाए गये पुल से भी क्षेत्र के लोगों को राहत मिलेग। उत्तराखंड राज्य चीन के साथ 345 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. इस लिहाज से यह परियोजना सैन्य साजों सामान और सैनिकों के मूवमेंट के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. यहां उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले चीन की सीमा पर बसे हुए हैं. इसके अलावा बात करें तो इस रेल प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद उत्तराखंड में रोजगार, पर्यटन, तीर्थाटन, उद्योग और राफ्टिंग को बड़ा बढ़ावा मिलेगा और उससे भी ज्यादा जरूरी कि इस पहाड़ी राज्य से लगातार हो रहे पलायन को भी रोका जा सकेगा.